आँखे खोलो | Aankhe Kholo
श्रेणी : साहित्य / Literature
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.65 MB
कुल पष्ठ :
76
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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मुनि नथमल जी का जन्म राजस्थान के झुंझुनूं जिले के टमकोर ग्राम में 1920 में हुआ उन्होने 1930 में अपनी 10वर्ष की अल्प आयु में उस समय के तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालुराम जी के कर कमलो से जैन भागवत दिक्षा ग्रहण की,उन्होने अणुव्रत,प्रेक्षाध्यान,जिवन विज्ञान आदि विषयों पर साहित्य का सर्जन किया।तेरापंथ घर्म संघ के नवमाचार्य आचार्य तुलसी के अंतरग सहयोगी के रुप में रहे एंव 1995 में उन्होने दशमाचार्य के रुप में सेवाएं दी,वे प्राकृत,संस्कृत आदि भाषाओं के पंडित के रुप में व उच्च कोटी के दार्शनिक के रुप में ख्याति अर्जित की।उनका स्वर्गवास 9 मई 2010 को राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में हुआ।
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[८] जैन संस्कृति की मी
१ अपदकह अर उसलिदनि्मिदवी करियर रस सरियो अियर कह्रियरि चर फीड कं
प्रयोग से विरोधामास को मिटा सकें। उन्होंने विश्व को
द्रव्य श्रूचता की श्रपेक्षा झनादि धनन्त णवं विसिनन शव-
स्थाधों के परिवतंन की झ्पेक्षा साइिसान्त बतलाया |
उनकी विशद विचार रशि के श्नुसार जगत का
रचयिता कोई भी नहीं है। प्राणी झपने भाग्य का स्वयं
निर्माता है एचं स्वयमेव ततफल भोगता है। इन सब कामों
के लिए पक घसीम शक्तिशाली ईश्वर को करपना करना
'विलकुल व्यर्थ है। श्रात्मा धर परमाणु पिएड के संयोग
से इन सबका सघन श्रौर (वघटन दोता रददत। है । झात्मा
को चाहा प्रकृति पर विजय पाने से भौतिक सुख का श्ननुभव
दोता है। श्रन्तर प्रति क्रोध मान, माया एवं लोभ पर
विजय पाने से श्ाध्याह्मिक सुख का द्वार खुन्त जाता है।
चावद् झात्मा स्वयं परमज्यो तिमंय सच्चिदानन्द स्वरूप पर-
. सात्मा बन जाती दै। इसमें ज्ञान का उत्छष्ट विकास झपेक्तित
है | ज्ञानो मनुष्य का पथ श्रवाघ दोग है। चद्द पथभ्रष्ट नहीं
दोता १। जेसे घागा पिरोई हुई सुई कचरे में पढ़ जाने पर
भी शुम नदीं होती वेसे दी जानी पुरुप संसार में रद कर
भी झात्म स्वरुप को नहीं गवाता। ज्ञान की भाँति पुरुपाथे
१--इत्तशध्ययन !
झंखें खोलो --
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