९५७ की क्रांति और रूहेलखंड | 957 Ki Kranti Aur Ruhelkhand

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Book Image : ९५७ की क्रांति और रूहेलखंड - 957 Ki Kranti Aur Ruhelkhand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( रह की चोषणा में भारत को जनता को यह धाश्वासन देंने का प्रयास किया गया था. कि भविष्य में अंग्रेजी शासन में श्रत्येक धर्मावलम्वी को अपने धर्म के सम्बन्ध में पूर्ण स्वतस्तता होगी । कम्पनी का राज्य स्थापित्त होने पर ईसाई धर्म का न केवल प्रचार किया. यया बरतु सेना के सिपाहियों तक को ईसाई तने पर वाध्य किया जाता था ६ जब कोई सेनिक श्रपना धर्म त्याग कर ईसाई बन जाता तो उसकी पदोन्नति को जाती थी । स्वयं बंगाल पेदल -सेना का सेनापतति इन दाब्दों में इस कथन का समर्थन करता है । “मैं लगातार २८ वर्षों से सेनिकों को ईसाई बचाने का कार्य कर रहा हूं । मैं चाहता हैं कि इन मूति पूजक सेनिकों की श्रात्मा झेतान-“से सुरक्षित रहें” इन्हीं सब कारणों का परिणाम १८५७ की महान क्रास्ति के रूप में प्रकट हुआ ॥ नंद जुंद ने कक जज




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