आयेने बोलते है | Aayene Bolte Hai

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Aayene Bolte Hai by रामदास अकेला - Ramdas Akela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवन मे जो तरलता, हरीतिमा, राजनीतिक कुत्तक्रो के बाद अभी भी शेष है उसे सुरक्षित रखने के लिए आप अत्यत व्यग्र है । आपकी यही व्यग्रता; आपको परिप्रेक्ष्य मे मानवीय हित की चिता से जोड देती है आप मानवता का कल्याण सम्टि के हित में अर्पित करने मे मानते ह ज़हाँ पसीना गिरे आपका वहाँ हमारा लहू बहें 1 आप परिवेश से जुडे प्रतिबद्ध रचनाकार है । कभी सोने की चिडिया कहा जाने वाला देश किस साजिश के तहत एक कत्लगाह में बदल गया है । इसकी रचनाकार को गहरी समझ हैं । यह पीड़ा कई गज़लो मे ब्यक्त है प्यास खूँ की, भूख दौलत की, अजब इन्सो मे है झूठ बेरहमी तो ऐसी भी कहाँ शैता मे है | ग़ज़लो मे अलग से दिखाई देने वाली विशेषता यह हैकि इस युग की त्रासदी के प्रति आपकी दृष्टि एकदमं रचनात्मक है और आपकी निगाह उन कारणों को भी पड़तालने मे सक्षम हुई है जो इसके लिए असल मे उत्तरदायी है अब सलामत झोपड़ी कोई भला कैसे रहे जब ख़याली ही महल तामीर हर अरमोँ मे है हर तरफ नफ़रत की आँधी उड रही है तथा सारा वातावरण दूषित हो गया है जाने कैसी हवा का असर है, सहमसा- सहमा हुआ हर बशर है | आज राज्य अँधा कुआँ हो गया है जिसमे इन्सान गिरता ही जाता है । कोई एक दूसरे को सम्भालने वाला नही हैं हम को पता है आपकी सारी सियासते, अंधा कुआँ है इसमे हमे मत गिराइये | आइने बोलते है व




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