श्री सुन्दर विलास | Shri Sundar Vilas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.9 MB
कुल पष्ठ :
284
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)॥ गुरुदेव कौ अ्रग 11 [७
काहू सौं न रोष तोप काहू सौं न राग दोष,
काहू सौ न वेरभाव काहू की न घात है
काहू सो न वकवाद काहू सो नहीं विपाद
काहूं सौ न सग न तौ कोऊ पक्षपात है ॥।
काहू सौं न दुष्ट वैन काहू सी न लन दन,
बह कौ विचार कछ और न सुहात है ।
सुन्दर कहत सोई ईशनि कौ महा इईश,
सोई गुरुदेव जारक॑ दूसरी न वात है ॥१३॥।
लोह कौ ज्यों पारस पखान हू पलटि लेत,
कचन छवत्त होइ जग मे प्रमानिये ।
दम कौ ज्यों चदन हू पलडि लगाइ वास,
ग्रापु के समान ता में शीतलता श्रानियें 1
कीट को ज्यों भूद्ध हू पलटि के करत भुड्,
सोई उंडि जाइ ताकौ श्रचिरज मानियें ।
सुन्दर कहत यह समर प्रसिद्ध बात,
सद्य शिष्य पलट स्, सत्यगुरु जानिये ॥१४।
गुरु बिन ज्ञान नाहि गुरु बिन ध्यान सौहि,
(१४) पारस पख न-पारसमणि । द्रूम-साधारण चुक्ष ।
भुट्ट-भोरा । सद्य तत्काल । पलटे-जीव से शिव वनादे
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