भारत भ्रमण खंड - ४ | Bharat Braman Part-iv
श्रेणी : इतिहास / History, भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31.62 MB
कुल पष्ठ :
504
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about बाबू साधुचरणप्रसाद - Babu Sadhucharan Prasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दे रायपुर-१८९ ३ (८६५९
नाम, ० ज्ञानीनाम, २१ हंसमाणिनास, २२ सुकृतनाम, २३ अप्रमणिनाम, २४ रहस्यनाम;
९७ गड्डमणिनाम, ९६ पारसनाम, २७. जामतनाम, २८ गड्ञामणिनाम, २९ अकहदनाम,
३० कण्ठमणिनास, ३१ सन्तोषनाम, ३२ चातकनाम, ३३ घनीनाम. ३४ नेहनाम, ३५
आदिनाम, ५६ सहानास, ३७ निजनाम, ३८ साहबनाम ३९ उद्धवनाम, ४० केतनाम, ४१
दगसणिनाम और ४२ विज्ञाचीनाम । कर
इनसे ११ देश होगये । दावे बेझाके प्रकटनाससाहबके रहते हुए उनके पुत्र ११ वाँ
बजा धीरजनामसाहबका देहान्त होगया था । प्रकटनामसाहबकी स्रर्यु होनेपर उनके भतीजे
और धीरजनामसाहबके पुत्र सुकुन्दीजीसे कबरद्हको गद्दी पर १९ वाँ वंश उध्रनाम वननेके
लिये अदालत हो रही है । प्रकटनाससाहबका भझतीजा कहता है कि मुकुत्दीजी धीरजनाम
साहघकी विवाहिता स्त्रीका पुत्र नही है; यह क्यो गदददका अधिकारी होगा । कुदरमालका
महन्त विश्वनाथदास मुकुन्दीजी के पक्षपर और कवरदृह वाल छोग भतीजेकी ओर हैं ।
भतीजेकी जीत हुई है।
मध्यंदुशम खास करके बिलासपुर, रायपुर, और छिंदवाड़ा जिठेमें कवीरपंथी
बहुत है.। सन् १८८१ की मनुष्य-गणनाके समय सध्यदेशसे २४७९९४ कवबीरपंथी थे |
वेश घरानेके कवीरपंथी साधुओंके लिये - विवाह करनेका निषेध नहीं है। मव्य-
देशके प्रायः सब कवीरपंथी विवाह करते है । किन्तु वेश घरानेके अनेक साधु आदुरके
लिये अपना विवाद नद्दीं करते ।
रायपुर ।
विछासपुरसे ,६८ मीठ ( आसनसोल जंक्यानसे ४३९ मील ) पश्चिमनदृक्षिण राय-
पुरका रेलवे स्टेशन *. । मध्यदेशके छत्तीसगढ़ विभागमें ( २१ अंश १५ कला उत्तर अक्षांश
और ८१ अंश ४१ कला पूर्व देशान्तरमे ) रेलवे स्टेशनसे एक मीठ दूर छत्तीसगढ़ विभाग
और रायपुर जिढेका सदर रथान और जिलेमें प्रधान कसवा रायपुर हैं । एक सडक नाग-
पुरसे रायपुर सम्भछपुर और मेदनीपुर होकर कठकत्तेको गई है ।
सन् १८९१ की मनुष्य-गणनाके समय फँजो छावनीके साथ रायपुर कसवेमें
३७५९ सनुप्य थे, अथोत् १९०१३ हिन्दू, ३६९३ मुसढमान, ९२८. एनिमि-
स्टिक, ३०० जन, रु७र् कृस्तान, ९१ यहूदी अँ।र २ पारसी । मनुष्य संख्याके अनुसार
यह सध्यदेशर्म ६ वौं शहर है ।
रेलवे स्टेशनसे १ सीछ दूर कसबेके पास ऋषीराम मारवाड़ीकी पुरानी धर्मशाला है
जिसका भाग उजड गया हू । धर्मणाछेसे दक्षिण गोल नामक चौकमें छोटी छोटी छुकानोंके
४ चखूटे वाजार हैं । गोल चौँकसे दृक्षिण ९ सीठ लम्बी १ पक्की सड़क है जिसके चग-
लॉमे घहुतरे बडे सबान और कपडे वतन इत्यादिकी दृकानें वनी हैं । कसवेसें १७ वीं
सदीका बना हुआ पत्थरका कंकाली तालाव हू जिसको महन्त कृपालगिरने बनवाया था |
उसमें अब लोग कपडे धोते है । रायपुररम जल कल सर्वत्र लगी हैं और प्रधान सड़कों पर
रात्रिमे लालटेन जठती ।
वसदेके चारो ओर अनेक ताठाव ओर घहुतरे आम इत्यादि वृक्षोके वाग हैं और
दस पास एव पुराना जजर किला दुख पडता हैं, जिसको सन् १४६० ई०में राजा भुवने-
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