हिंदी सेवी संसार | Hindi Sevi Sansar

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Book Image : हिंदी सेवी संसार  - Hindi Sevi Sansar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रे१. से फिर कार्य आरम्भ हुआ ४१ से अब तक इसके कई अधिवेशन हो चुके हैं अखिल भारतीय रेडियो की भाषा-नीति नामक पुस्तक प्रकाशित _ की रेडियो-विरोधी दिवस मनाया और कचहरियों में हिन्दी - प्रयोग के लिए आंदोलन किया अब वार्षिक अधिवेशन नियमित रूप से होते हैं । एस० डी- एम० इस्टीस्यट ाप औओरिएंटल रिसचे ईदगाह के पीछे जोधपुर--श्रीमदनराज दौलतराम मेहता द्वारा शर् में स्थापित प्राचीन हस्तलिखित दुलभ ग्रंथों की खोज एवं प्रकाशन शोध छात्रों की सहायता. करना उद्द र्य हैं शोध-संस्था में ७००० से अधिक साहित्यिक सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्व के प्राचीन अभिलेख संगृहीत हैं अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं शोध संस्थानों में राजस्थानी चित्रकला से सम्बंधित एक प्रतिनिधि संकलन भी है । कर्नाटकप्रांतीय राष्ट्रभाषा प्रचार समिति हुबली कर्नाटक -- ४७ . में स्थापित कर्नाटक प्रान्त में ५० परीक्षा-केंद्र एवं १४० प्रचारक हैं अब तक लगभग ४ ००० परीक्षार्थियों ने परीक्षाएँ दीं विभिन्न साहिस्यिक कार्यक्रमों _. का समय-समय पर आयोजन किया जाता है । कलाकार-परिषद शिवहर सं जफ्फरप र--श्रीमदन द्वारा ४८ में स्था- .. पित चार श्रेणियों के सदस्य हैं--साधारण विशिष्ट संरक्षक और विशिष्ट ..... संरक्षक साहित्य और कला की वृद्धि के साथ-साथ नवीन प्रतिभाओं की खोज .... उद्देश्य है संचालन के लिए ८ सदस्यों की कार्यकारिणी हैं जिसके अंतगत दों उपसमितियाँ हैं-- अ सम्पादन-ससिति एवं ब प्रचार-समिति .... . कला भारती कृष्णणली सराय सयदअली मसजफ्फरपूर--सवश्रीसिया- राममशरणप्रसाद एवं क़ृष्णकुमार सिन्हा द्वारा ५८ में स्थापित कलाकारों .. का सम्मान एवं उन पर ग्रन्थ का प्रकाशन करना नाद्यमसंच लोक साहित्य . एवं सांस्कृतिक चेतना का प्रसार करना उद्देश्य है सात विभाग हैं--साहित्य ..... संगीत प्रकाशन चित्रकला . पुस्तकालय नाट्यनत्य एवं प्रचार इसके . ... पुस्तकालय में १२०० पुस्तकें हैं जो सदस्यों के परिवारों तक पहुँचा दी... _. जाती हैं १८ पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं वार्षिक शुल्क १२ है। त् कला संगम तिलौध शाहाबाद--सवंश्री बनारसीलाल काशी .. नित्यानंद पाठक अवधेशकुमार श्रीवास्तव . ठा० अभयप्रकाश सिंह एवं. .... कामदेव तिवारी द्वारा ६१ में स्थापित संस्था के दो विभाग हैं--साहित्यिक ... एवं कलात्मक मासिक गोष्ठियाँ तथा अन्य साहित्यिक कार्यक्रम भोजपुरी ं ... साहित्य का विकास एवं प्रणयन नाटकों का अभिनय आदि उद्देश्य और ..... कार्य हैं सत्र के अंत में वार्षिक अधिवेशन किया जाता है।......




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