अष्टछाप काव्य का संस्कृत मूल्याङ्कन | Ashtchap Kavya Ka Sanskrit Mulyankan

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Ashtchap Kavya Ka Sanskrit Mulyankan by डॉ. दीनदयालु गुप्त - Dr. Deenadayalu Guptaप्रेमनारायण टंडन - Premnarayan tandan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५) ¢ पालागन--१८२, पराम गा मनाम--१८३, जुहार, शाम येडना पौर गिनती करना, आशीर्षाद के विविघ रूप आशौर्वाद या झ्सीस--१८४ प्माक्षिगन ऋरना (ठ छगाना) प्रीति जनाना--१८४५ पत्र-संबंदी शिप्ताचार-१८६ | (৭) उस्खव तथा सैंस्ख़र--१८०, उन्मौस्कब्र--१८%, जातकर्म और अन्मीस्व--१६ है, छुठी--१६५, नामकरण--? ६८, मिष्कमए, श्रप्तप्रासन १६६, पुर्गाढ--२ , सृकं करुवेष--२ १, उपनसन (पशोपवीस) -९ १ बेहार॑म जिवाइ--२ ४, पर-प्रेशय--२ ७, सगरा गेगनी ओर बारान सर्ई--२ ८७ बाग्दान निमंत्रण--२ ६ मंडपकरश--२१ , इक्टौ-तंल बढ़ाना बर भी सम्य--२११ दकश-बंधन, देगौ-पूश्न--२११, अधू-पहागमन, मघुपकौ--श१४ विवाह, प्राणिप्रहण, गठबंपन--२१५५, पिन क्िशा, फैकव्‌-मोजन--२१९) जुदा स्वेलना--२१७) गाली गाना লাকা देना मा मूर बरना, भि--२१८ दाप गा ददेज--२२ ण्ड प्रवेश भ्रस्यपि-२२१ समीषा--<९५। ५. লানাশিক্ষ जीवन-चित्रण वि ~~ २०७-४१३ (क) सामाजिक ब्यत्स्था, वर्ण॑-स्पद्रस्पा--२२९ अपष्टधाप-काम्प में शर्गुउपगस्या-संबंधी उश्वेन--२९१ प्र्मग-२१२ पतिष--२१४ হতে) সময ब्रप्चपाश्राभम चर्या-२१६ गशहस्थाभम र्वा) बानप्रस्माभम भचा संन्पाषाभम पर्चा--२३१७। (ल) प्मप्टछाएकास्प में मनौडिनोइ--२३१० बाह्यामल्पा क लेल শ্রী मनौबिनौट--२१८५ कम इइ-सूप के राल--२६६, दीइ-भूप के लेल ऑखिमियोनी-- २४१९ छुपा-दुप्ौगल--२५१ श्दाराष्ण--२४४ बेल- मेल) पदुक-दीङा- २८५) बौगान-क्टा-- ९४६ धन्य रोल, पतंग--१४७ कहानी मुनाना, पदेली-आुमरबल--२४८, शर-क्रौट्रा, बालिकाशों क प्ल নট युवकों पे पल, साइस के पल दोगन--२५ मत्रपुद्--२५२ मृगपा--२५८ बौद्धिक शोग पेव के राह--२४५५, यतकोडा--२४५७ कला बपाल क राल--२४६ मनीर॑श्त के इसन्य साधन, इुंज विशर--२६ আল िशर--२६१ पशु पत्चिरों स क्वीहा--२६४, नट विदा शमोखश्य--२६४। (प) परत्रोमइ--२६३२ “तासर, कूलम॑हली--२६७ डिशिरा--१६८,




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