उपदेश - रत्न कथाकोश खंड - ६ | Upadesh Ratn katha - Kosh- Khand - 6
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.36 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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किरण नाहटा - Kiran Nahata
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शंकर सिंह राजपुरोहित - Shankar Singh Rajpurohit
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जद कोटवाठ बोल्यी- औ डोकरी, इणसू कांम व्है नहीं, सो टकी देसा।
यू म्हैंझर करवा लागा।
राजा म्हैल देखवा आयौ। आपरा भाई-भोजाई बाप नैं राजा ओठखनै
बोल्यी- इण डोकरा रा दोय टका दो। डोकरा नैं कहौ- थू दुख क्यू देखे ? म्हारै
म्हैला री पोछीयौ बैठी रहीजै। औ राजी होयनै म्हैलां गयी।
अबै इणनैं सिनान सपाड़ी कराय गैंहणा-वस्त्र पहिराय ढोल्यी विछाय
सीरख पथरणा सूप मनसा भोजन जीमावै। अबै औ डोकरी महासुख मानै।
एक दिन राजा डोकरा मैं बोलायने कह्लौ- थारी चहू में फोडा पड़ता
व्हैला, सो वहू नैं बोलायलै। जद बोलाय लीधी। यां दोया नैं राजा एक म्हैल भठाय
दीयौ। डोकरी मैं गैंहणा-कपड़ा पहिराय दीया, मनसा भोजन जीमै। सुख मानै।
कोटवाठ नैं कहौ- या छही जीवा नैं महीना तांई रोजगार दीजे मती। डोकरी नैं
बोलायनै राजा कहौ- थारै तीन वहुआ है कै च्यार है ?
_ जद डोकरी रोवती बोली- महाराज ! च्यार है पिण चोथी वहू सुखमाल
है, इणनें बारै काढां नहीं, महि रसोई करनै वा तो जीमावै।
जद राजा कह- उणनैं बोलायलौ, सो म्हारै अठै रसोई करसी, जद सासू
बोलावा गई।
जद आ बोली- हू तो राजा री रसोई करवा आवू नहीं, म्हारै शील राखणी।
डोकरी जायनै राजा नैं समाचार कहया।
राजा कही- ले आव धूं तो।
जद आ जबरी सू ले आई। इण सासू री कहौ न लोप्यी, मरणी धारने
आई। राजा पटराणी नैं कद्लौ- म्हे इण रा हाथ री रसोई जीमसा।
पटराणी इणनें कह्यौ- थू हजूर रै वास्तै रसोई कर।
जद इण कीधी। राजा जीम्यी, घणी राजी हुऔ। पटराणी मैं कहै- आज
धापनै जीम्या। इणनैं गैंहणा-कपडा था बरोबर पहिराय दौ।
जद राणी मन मैं चिमकी पिण राजा री हुकम लोपणी आवै नहीं। गैंहणा-
कपडा इणनें पहिरावा लागा। जद आ बोली- हू तो पहिखं नहीं, म्हारै इसा गैंहणा
रो कोई काम ?
जद पटराणी इणनें तो भली मनुष्य जाणी राजा नैं समाचार कहिवाया-
महाराज ! उवा तो गैंहणा पहिंरे नहीं।
जद राजा वोल्यी- इत्ती थांगें कला कोई नहीं, सो थारी कही मानें नहीं,
सो थे और कांम काई .करसी ?
उपदेश-रत्त कथघाकोश १६
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