उपदेश - रत्न कथाकोश खंड - ६ | Upadesh Ratn katha - Kosh- Khand - 6

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Upadesh Ratn katha - Kosh- Khand - 6  by किरण नाहटा - Kiran Nahataशंकर सिंह राजपुरोहित - Shankar Singh Rajpurohit

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शंकर सिंह राजपुरोहित - Shankar Singh Rajpurohit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जद कोटवाठ बोल्यी- औ डोकरी, इणसू कांम व्है नहीं, सो टकी देसा। यू म्हैंझर करवा लागा। राजा म्हैल देखवा आयौ। आपरा भाई-भोजाई बाप नैं राजा ओठखनै बोल्यी- इण डोकरा रा दोय टका दो। डोकरा नैं कहौ- थू दुख क्यू देखे ? म्हारै म्हैला री पोछीयौ बैठी रहीजै। औ राजी होयनै म्हैलां गयी। अबै इणनैं सिनान सपाड़ी कराय गैंहणा-वस्त्र पहिराय ढोल्यी विछाय सीरख पथरणा सूप मनसा भोजन जीमावै। अबै औ डोकरी महासुख मानै। एक दिन राजा डोकरा मैं बोलायने कह्लौ- थारी चहू में फोडा पड़ता व्हैला, सो वहू नैं बोलायलै। जद बोलाय लीधी। यां दोया नैं राजा एक म्हैल भठाय दीयौ। डोकरी मैं गैंहणा-कपड़ा पहिराय दीया, मनसा भोजन जीमै। सुख मानै। कोटवाठ नैं कहौ- या छही जीवा नैं महीना तांई रोजगार दीजे मती। डोकरी नैं बोलायनै राजा कहौ- थारै तीन वहुआ है कै च्यार है ? _ जद डोकरी रोवती बोली- महाराज ! च्यार है पिण चोथी वहू सुखमाल है, इणनें बारै काढां नहीं, महि रसोई करनै वा तो जीमावै। जद राजा कह- उणनैं बोलायलौ, सो म्हारै अठै रसोई करसी, जद सासू बोलावा गई। जद आ बोली- हू तो राजा री रसोई करवा आवू नहीं, म्हारै शील राखणी। डोकरी जायनै राजा नैं समाचार कहया। राजा कही- ले आव धूं तो। जद आ जबरी सू ले आई। इण सासू री कहौ न लोप्यी, मरणी धारने आई। राजा पटराणी नैं कद्लौ- म्हे इण रा हाथ री रसोई जीमसा। पटराणी इणनें कह्यौ- थू हजूर रै वास्तै रसोई कर। जद इण कीधी। राजा जीम्यी, घणी राजी हुऔ। पटराणी मैं कहै- आज धापनै जीम्या। इणनैं गैंहणा-कपडा था बरोबर पहिराय दौ। जद राणी मन मैं चिमकी पिण राजा री हुकम लोपणी आवै नहीं। गैंहणा- कपडा इणनें पहिरावा लागा। जद आ बोली- हू तो पहिखं नहीं, म्हारै इसा गैंहणा रो कोई काम ? जद पटराणी इणनें तो भली मनुष्य जाणी राजा नैं समाचार कहिवाया- महाराज ! उवा तो गैंहणा पहिंरे नहीं। जद राजा वोल्यी- इत्ती थांगें कला कोई नहीं, सो थारी कही मानें नहीं, सो थे और कांम काई .करसी ? उपदेश-रत्त कथघाकोश १६




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