रस छन्द अलंकार | Ras Chhand Alankar

Ras Chhand Alankar by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रेस क संज्ञाक्ष्यक्रम धबनि--जहाँ व्यग्याथ भ्रथवा विदेषाथ तक पहुँचने का क्रम लक्षित हो | उदाहरण -- कहा लडेते हग करे परे लाल बेहाल । कहूँ मुरलो कहेँ पीतपट कहूँ मुकुट बनमाल ॥ यहाँ व्याजस्तुति श्रलकार है कि ऊपर से बडाई मालूम पड़ती है फिन्तु से मिन्दा है कि तूने क्या लडाकू नेत्र धारण कर रखे हैं जिसकी चोट खाकर बेचारे कृष्ण तक बेहाल पड़े है । ख जहाँ व्यग्याथं श्रथवा विशेषाथ तक पहुँचने का क्रम लक्षित न हो । उदाहरण -- रहिमन कबहें बडेन के नाहि गवं को लेश। भार घरे संसार को तऊझ कहावत शेष ।। ४ इस उक्ति मे बडे व्यक्तियों की प्रशसा निहित है किन्तु क्रम श्रलक्षित है । इसके श्रन्तगंत रस भाव रसाभास भावाभास भावशान्ति भावसन्धि भावोदय और भावशबलता माने गये है । जिनका वर्णन रस के प्रकरण में है ।




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