गीता का ज्ञानयोग | Gita Ka Gyanyog
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.95 MB
कुल पष्ठ :
447
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीदरिः
श्रीमड्भगवढ्ीताका संक्षिप्त परिचय
श्रीमद्भगवद्ीता एक अत्यन्त अलौकिक एवं विचित्र ग्रव्य है ।
इसमें मनुष्यमात्रके कल्याणकी बात कही गयी है | इस प्रन्थकी
अनेक विक्षणताओमें एक विंढक्षणता यह भी है कि यह मनुष्य
सात्रके अनुभवपर आधा है |
श्रीमद्गगवद्दीताके प्रारम्भमें ध्रृतराष्ट्र और संजयका संवाद है ।
श्रृतराष्ट्रने पूछा कि युद्धके लिये एकत्रित मेरे और पाण्डुके पुत्रोंने
क्या किया ? उत्तरमे सजयने दुर्योधनके द्वारा द्रोणाचायको कही
गयी युद्धभूमिमे एकत्रित दोनो सेनाओके प्रधान झारवीरोकी महिमाका
चणन किया | दुर्योधनने द्रोणाचायसे बहुत चतुराईके साथ बात
की; जिसे सुनकर द्रोणाचाय कुछ बोले नहीं, चुप ही रहे । इस
बातका दुर्योधनपर प्रभाव पड़ा और वह दुखी हो गया | तब
दुर्योधनको प्रसन करनेके छिये पिंतामह भीष्मने सिंदके समान ग्रजकर
दाह बजाया*। फिर कौख और पाण्डव सेनाके शक्ल और बाजे बजे
निसकी बहुत भयंकर '्वनिं हुई । इस मयंकर ध्वनिसे शतराष्ट्रके
सम्बन्धियों ( कौरवों )के हृदय विदीण हो गये ( १। १९ ;
क्योकि वे अन्यायके पक्षमें थे । परतु पाण्डवोके हृदय बिल्दुल्ठ
अच्चढ रहे; क्योंकि वे न्यायके पक्षमें थे । ग्यारद अक्षौहिणी
जागातयुतल्यल्ल्स्ल्एएएएल्एल्एएए।।एनएशशशएटयययटटटटटलवयअ&
कक दयलपदयदलवदयदयदरददरमेलीवि्ेवदिविदवययाविदयदावग्वयधथकद
भीष्मने दुर्योधनके हृदयमें हृष॑ उत्पन्न करते हुए ( तस््य
सजनथन्हषें ) सिंहके समान गरजकर शाह बजाया ( १। १२ ) इस
बातसे यह्दी सिद्ध दोता हैं कि दुर्योधन दुश्खी था ।
मी० झा० १--
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