गुर्जरेश्वर कुमारपाल | Gurjareshwar Kumarpal
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.97 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रवेश १७
पुरुपों को वुला भेजा । कृष्णदेव श्रौर उदयन, मत्हारभट्ट श्रौर सेनापति केशव
आदि तो वही थे । लाट देश से काक श्रा पहुँचा । अ्व केवल त्यागभट्ट की प्रतीक्षा
की जा रही थी । पता नही, वह पहुँच भी पाएगा या नही । सभी को यही चिन्ता
थी कि कही उसके आ्रानें से पहले ही मालवा-युद्ध की चिनगारी न सुलग जाए ।
उत्तराधिकार का प्रश्न अभी हल भी नहीं हो पाया था कि यह एक श्रोर
विकट समस्या उठ खड़ी हुई !
भ“्यस्तुत उपन्यास ऐसे ही श्रनिधिचत, शकाकुल वातावरण में श्रारम्भ होता
है । वर्ष था विक्रम सबत् ११९६ श्रौर कार्तिक महीने के आठ-दस दिन वीत चुके
न,
थ।
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