सीताराम चौपाई | Sitaram Chaupai

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सीताराम चौपाई  - Sitaram Chaupai

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

अगरचन्द्र नाहटा - Agarchandra Nahta

No Information available about अगरचन्द्र नाहटा - Agarchandra Nahta

Add Infomation AboutAgarchandra Nahta

भंवरलाल नाहटा - Bhanwar Lal Nahta

No Information available about भंवरलाल नाहटा - Bhanwar Lal Nahta

Add Infomation AboutBhanwar Lal Nahta

समयसुंदर - Samayasundar

No Information available about समयसुंदर - Samayasundar

Add Infomation AboutSamayasundar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[ डे वहुत है सम्पूर्ण रचना नो खण्डों सें विभक्त दै। जिनका नामकरण कचि ने प्रत्येक खण्ड के अत्त में किया है । महाकाव्य सग वृद्ध किया ज्ञाता है । यह रचना अनेक खंडों में छिखी गई है और बहुत बड़ी है। जीवन का सर्वा'गीण चित्रण हमें इसमें मिछता दै। नायक स्वयं राम दे जिनके वीरत्व में घीरव्व में सन्देह का कोई स्थान नहीं । बरत ऐतिहासिक दै ही जिसमें पीछे कवि का महदुद्देश्य राम गुणगान स्पष्ट है । छन्द की विविधता; रसों का पूर्ण परिपाक; यह सब इस रचना को प्रवन्ध काव्य की कोटी में छा खड़ा करते हैं। कवि ने स्वय इस ओर सर्गान्त में संकेत कर दिया ' ह-इति श्री सीता रास प्रवन्धे ।” इस प्रकार प्रस्तुत श्रन्थ एक चरि- तारमक प्रवन्ध काव्य सिद्ध होता दै जिसमें अनेक का सम्बन्ध सूत्र नायक ( राम ) की कथा से जोड़ दिया गया है। चौपाई छन्द की अधिकता के साथ-साथ अन्य छन्द भी प्रयुक्त किये गये हैं अतः चोौपाई की प्रधानता होने पर भी एवं “प्रबन्घ” के पर्याय के रूप में भी “चडपई” लाम रखा गया है । श्रन्थ का प्रारम्भ-अत्थ का प्रारम्भ कवि ने परम्परालुसार मंगढाचरण से किया दै। स्वस्तिश्नी सुख सम्पदा; दायक अरिहत देव भ्द रे भर निज युरुचरण कमल नमु, त्रिण्ह तत्व दातार श् है. भर समरू सरसवि सामिनी; एक करू अरदास ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now