गाँधी का मौनी राज्य | Gandhi Ka Mauni Rajya

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Gandhi Ka Mauni Rajya by महात्मा गाँधी - Mahatma Gandhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७] राष्ट्र को गारत किया, आज यह वताने की आवश्यकता नहीं[(५ है ॥ प्रतापी प्रताप का चिंत्तौर आज भी हिन्दुओं के सामने घाँय से दृद्दक रद है। घर्मयज्ञ की आइुतियाँ, सतीत्व पर चलिंदान होने बाली पद्चिनी, जवाहिर, तारा, लदमी वाई और दुगौवती आदि देवियाँ आज भी अपने आत्मोत्सर्ग तथा चलिदानों के लिए पूजी जाती हैं । किन्तु यह सब! होते हुए भी क्या हिन्दू राष्ट्र का यथेष्ट लाभ हुआ ? नहीं, कदापि नहीं । इसी के विरुद्ध ञाज जब हम विच्व का इतिहास पढ़ते हूँ तो देखते हैं कि एक नेपोलियन ने समस्त यूरोप को विजय किया, चकेले लेनिन ऐसे वीर ने रूस जैसे साम्राज्य को दासता के डोढ़ से निकाल कर ाज़ादी के ऊँचे शिखर पर बिठा दिया । अकेले चाशिंगटन ने अमेरिका में स्वतंत्रता की ध्वनि उँची कर ,दी । केले गेरीवाल्डी और सेजिनी ने इटली को स्वतन्त्र कर दिया 1 और च्तेमान समय में भी डिवेलरा ने आयरलैंड को, मुसोलिनी ने इटली को, मुस्तफा कमाल पाशा ने टर्को को, अकेले हिटलर ने जर्मनी को सर्वोच्च स्थान दिला दिया । फिर भला कद्चिए ! हमारे रणवांकुरे प्रथ्वीराज, हमारे भोप्म न्रतधारी, राना-प्रताप, धर्म पर शहीद होने वाले गुरु-गोविन्द सिंदद रथा शिवाजी ऐसे चीर त्यागी होकर भी हिन्दू राष्ट्र को गुलामी से न बचा सके । और तो ' छोड़ियिभाज जब स्वतंत्रता संसार में चारो ओर सस्ती विक रही है; भारत का हिन्दू राप्ट्र चद से चद्तर होता जा रददा है। क्यों ? क्योंकि हिन्दू जनता प्याज के गट्टे की तरदद है । प्यान के गट्टे को




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