राजस्थान में जन आंदोलन | Rajasthan mein Jan Aandolan

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Karoli Rajya Savak Sangh Karoli (Rajputana) by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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20 (भ) (स) (द) (म) हजूर तहसीत के विसानो की फसलो को सुझ्रो के दारण नुकसान हुप्ना वरता है, जिसकी वजह स्त वे बरवाद हुए जा रहे हैं। इसलिए यह सभा भहाराजा যান ই সালা करती है कि बह झन्य तहसीला वी भाति इस तहसील से भी सुभर भारने की पावन्‍्दी उठाने वी द्ृपा करें । करोली राज्य में बहुत स्थानों पर ভু भो का पानी बिल्कुल सूख गया है, किन्तु विसानो से चाही जमीन का लगान वसूल किया जा रहा है, झतएवं यह समा प्रस्ताव करती है पि जवे विसानों ने झवपाशी को ही नहीं है, तव उनसे चाही जमीन भा लगाम लेना मुनापस्तिव नहीं है, इसलिए महा राजासाहव से प्रार्थना है वि वह ऐसी सूरत में किसाना यो मुजराई देने की उदारता दिखला । करौली राज्य पे किसानो से दभर्‌ देतो फा समान्‌ वसूल किया जाता है, एव किष्ठान। कै लावारिशं मर भाने पर उनकी भ्राराजी जवरस्ती उनके रिश्तेदारों के खेता मे बाघ दी जाती है जो सर्वया प्रनुचित है इसलिए यह सभा महा- राजा साहब से प्रांत करती हैं कि यह प्रधा एवंदम उठा दी जाए। करौली राज्य मे किसानों को श्रपनी जमीनों पर मौदसी हक प्राप्त नही है, इसलिए उन्हें भपनी जमीतो पर उसी प्रकार वी सब सुविषायें दी जायें जैत्तों दि प्रयुक्त प्रान्त को वाग्रेस गवर्नमेण्ट ने भ्पने हाल में पास किधे गये टैनेसीएंव्ट द्वारा दी हैं । किसानो वो कम सूद पर वर्जा प्राप्त बरने के लिए यह सभा भ्रावश्यक संभझती है कि उननी उन्नति के लिए सहयोग समितियो (८० १४८ 50061168) वायम वी जायें । (3) यह सभा प्रस्ताव करी है दि करौली राज्य हारा सी जाने बाली महाजनों, कण्डेरो, दजियों, माईया, तेलियों, तुम्हारों, कौपमियो, वाधियां, कताईयों, खरादियों भ्रादि जातियों से एंव




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