भूगोल संग्रह | Bhugol Sangrah

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Bhugol Sangrah by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
थी [.. ७ 3 गोल विद्या में रधिदी के बच्चिभाग था वणन है । पृणिवी का बिग जल और 'स्थत्त जे सिसत्ता: हैं, .उसकी दो तिहाई से अधिदा जल है, और शेप स्पक्त दे । सखल के लो भाग पाकार फोर परिसाण लें एपा से छैं वे एकरी नास से प्रसिष् हैं । दीप स्थन्न के उस सांग को काइते हैं, शिस के चारों फोर लत है : पंथिवी में दो श्रतिबिस्तुतददी प हैं, उन्हें सदादीप कहते हैं। प्रायदोभ एघिनी के उस भाय को याइते छू, जो यचुघा- जश्न से घिरा हो पधात्‌ जिस से तौन तरफ पानी छो । उमयभव्य प्धिवी के उस सच्य भाग को दाइते हैं, जो भायदौप को सछादीपंचे अधवंध एण सधादौप को दे सदादीप से मिच्षा देता झन्तरौप उस भूगरंड के '्रब्त को याएते हैं, जो ससुद्र मे निदान्ा इभा रहता है श्र्धात जो पंथ्वी का साय क्रम जाम दे परोल कर पानी में दर तक चला गया इो उस वो घ्रारी के साय को अंतरीप दाइते हैं । पडा वा प्रयंत दीघे पण्थरेली उच्च ससि को कइसे है जो शिमाणय के चुख्य दिस ले उंपा इशा' रछता है । को ट्रक प्नोड पंइते हे कि पहाड़ खुत्त के उस जांचे जाग को कहती हैंलोंपष्वी तन्न से २००० फीट धिका ऊंघा हो । पहाड़ी उचे दोइते हैं पे थवेत थे उंदाई सें दाम हो शक यम 'बोई बोर साधते हैं खस के ऊंचे भाग को बाइसे हैं जिसे की संचार दो इजार फीट ये कस हो 1




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now