राजस्थान के रीति रिवाज | Rajasthan Ke Ritirivas
श्रेणी : भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.27 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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No Information available about श्री सुखवीर सिंह गहलोत - Shri Sukhvir Singh Gahlot
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्राचान रालर्टज
हिन्दुओं में यज्ञोपवीत एवं शिद्ा के दिला झा दा ८०
कृत्य नहीं करना चाहिये। याज्ञदस्न्य
के सभो संस्कारों को लड़कियों के
कुल धम के भ्रनुसार पूरा सिर
रखनी चाहिये । गर्भ वाले दाल श्रपदिय्र
* १०, उपनयन
इसका अझथ है “पास या सन्निकट से जाना इ>
जाने से तात्पर्य सान्निध्य से है ब्राचाये के
भी कहते हैं । कहीं कहीं पर यह संस्कार दा
९ या ११ वर्ष का होने पर मनाया जाता है। लेशिन उड़
यदि पहले नहीं हुआ हो तो इसके वदले विवाह के गप शी
जनऊ हु! जाता है । यह संस्कार सब सस्कारों में ग्राम
है । इसे विद्या सीखने व।लें को गायत्री मं वे सिखाकए ५,
जाता है। गायत्री मंत्र इस प्रकार
-ग्राउम भभ च्ु श्र नगद
वितुर्वरेण्यम् भर्गों देवस्य घी महि घियो यो न: प्रचोदयान |
प्रारम्भिक काल में उपनयन अपक्षाकृत सरल था , ;;:.
विद्यार्थी गुरु के पास जाकर ब्रह्मचारी के सप में नि
इच्छा प्रकट करता था । गुरु द्वारा स्वाकृति प्िल
उपनयन सस्कार हो जाता था । धीरे घीरे इस
मिन्न भिन्न कृत्य प्रचलित होते ग
उपनयन संस्कार अधिकतर जन्म से लेकर श्राठवं बे
होजाता है। यही नहीं क्रम से १६ .वें कि.
वर्ष तक भी होता है । उपनयन मास के शुक्ल पक्ष ही म्ध्द
शुभ नक्षत्र में किया जाता है । मंगलवार एवं शनिवार किए
संस्कार के लिएं निषिद्ध दिवस वतलाये गये 5 । तब की
गुर
उप 2
ले जाने न
सस्का गे
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