रासमाला (गुजरात का इतिहास ) | Rasamala (gujarat Ka Itihas)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.9 MB
कुल पष्ठ :
430
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(रस)
निप्र आया श्रीर बह गुजरात तथा राजस्थान में प्रचलित कितनी ही
लोककथाओं का नायक वन गया | (१) लड्ठेश्वर की प्रणतिभड्न में
दृढब्रत जनकजा के चरणयुग्म का शललुकरण करते हुए ट्ी वीररसणी
सोरठी राणक देवड़ी ने शुजेरेश्वर जयर्सिदद के सवस्वापण-पुरस्सर
दचुनय को छुकरा कर पति का झनुगमन किया । ऐसे दी उदात्त चरित्रों
से भारतीय कथानकों की शतसाइहस्त्री '्ोत-प्रोत है. ।
सिद्धराज जयसिंह, कुसारपाल, भीमदेव द्वितीय श्यौर मत्रिवर
वस्तुपाल तेजपाल के व्यक्तित्व झीर चरित्र भी शुजरात की ऐतिहासिक
चरित्रमाला के परम समुज्ज्यल रत्न हैं जिसकी श्ासा से एतईशीय
गर्वोन्तत गोरवणिरि सतत सासमान है । विशुद्ध ऐतिहासिक तथ्यों के
'झतिरिक्त इनसे सस्वद्ध सादित्यिक एव लोक कृतियों में से चित्ताकपक
प्रेरक कथाओं को स्त्य फावंस साइव, गुजराती श्नुवादक श्र इन
पंक्तियों के लेखक ने प्रस्तुत पुस्तक में यथावसर उक प्रकरणों मे
समसावेशित करने का प्रयत्न किया है कि जिससे पाठक का सन
उच न जाय |
तेरदवें अकरण में मूल लेखक ने भारतीय सस्कृति के जो तत्का-
लीन चित्र झ'कित्त किए हैं वे सदज रमजीय हैं । देवदुर्विलास से
परास्त छोर त्रस्त द्ोकर बैठ न रददने वाले सादसेकप्रिय पुनर्निसाणरत
भारतीय मानव के प्रति विदेशी लेखक ने जो श्रद्धा-भावना व्यक्त की है
चह्द चास्तव में हसारे लिये गोरच की चस्तु है । इसके 'श्तिरिक्त भी
(१ जगदेव के 'विपय में ऐलिदासिक लानकारी के लिए. देखिए. श्री
री है श
सादूल राजस्थानी रिनचे ईस्टीट्य.ट से प्रकाशित राजस्थान भारती के भाग ४
झाक में डॉ० दरारथ शर्मा का लेस 'जिविववीर लगद व
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