बिखरे मोती | Bikhre Moti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.84 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सुभद्रा कुमारी चौहान - Subhadra Kumari Chauhan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)' विनीत निवेदन,
हनन वा
में ये “बिखरे मोती ”. बाज पाठकों के सामने उपस्थित
करती हूँ; ये सब एक ही-सीप से नहीं. निकले हैं।
'रूद़ियों 'ोर सामाजिक वन्धनों की शिला झों पर अनेक निर-
पराधघ 'ात्माएँ प्रतिदिन ही चूर-चूर हो रही हैं । उनके हृद्य-
'मुंबिन्दु जहाँ-तहाँ मोतियों के .समान चिखरे पढ़े हैं । मेंने तो
उन्हें केवल बटोरने का ही प्रयत्न किया है। मेरे इस प्रयत्न
में कला को'लोभ है और अन्याय के प्रति चोभ भी ।
सभी सानवों के -हृरय एक-से हैं। वे पीड़ा से दुगखित
- अत्याचार से रुप श्र करुणा- से द्रवित होते हैं । दुःख
रोप, और करुणा, किसके हृदय में नहीं हैं? इसीलिए ये
कहानियाँ मेरी न होने पर भी . मेरी हैं, ्ापकी न होने
पर भी झापकी - और किसी विशेष की-न होने पर भी
सबकी हैं । समाज 'गौर ग़हस्थी के भीतर, जो 'घात-
प्रतिघात निरंतर होते रहते हैं उनकी यह श्रतिथ्वनियाँ मात्र
उन्हें 'ापने सुना होगा । मैंने कोइ नई बातं नहीं
लिखी है; केवल उन प्रतिध्वनियों' को 'अपने भावुक हृदय
नर
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