भाषा लोचन | Bhasha Lochan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ उध्याप ट पर २. द्राचिड़ और ह्विन्द्योरोपीय मोगकी वोलियर ( हमारी चोलियॉंका चैंटवारा कैसे हो ? ) . **” छ््०्द द्ाबिद बोलियोकी विशेषताएँ : द्ाविड़ी चोलियोंके भेद : हिन्दु-्यौरोपीय गोन्नको संस्कृत गोत्र कहना चाहिए : हिन्द-्योरोपीय योलियोंको विशेषताएं : श्वादिम हिंन्द- योरीपीय चोली + कैन्ट्म '्रीर सतम वग: इस चेटवारेके दोप : ध्वनि-साम्य, शब्द-साम्य श्रौर वावयनसाम्यके श्राघारपर बैटवारा होना चाहिए । चौथी पाली [ हिन्दी कैसे चनी, सँवरी और फैली | ] १. हिन्दी कैसे बनी श्र फेज्ी ? ( दिन्दोकी बनावट व्योर उसका घेरा शुर७ भारतकी धाजकी वोलियाँ कहाँसे निकली १ १ ग्रियसंनने श्रायं वोलियोंकि दो घेरे माने हैं-चादुर्यानि पॉच घेरे माने हैं : श्राचायं चतुर्वेदीने श्राय॑ बोलियोंकि सात घेरे माने हैं : हिन्दीने शब्द कहाँसे लिए ? : हिन्दीके झुण्डकी साथिन बोलियाँ । कान ललवदर




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