सूरदास जीवन सामग्री | Surdas Jevan Samagri

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भगीरथ मिश्र - Bhagirath Mishr

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श्री सूरदास जी - Shri Surdas Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ९१ 2 सूरदास जी पे पद से पता लता पी फि चंद के चार पेटे थे । नानूराम का चंगदुस भी यही फटता है । सूरदास से गेयल घपने पूच घुर्प गुणचंद का नाम दिया है । सब से जेटें पे सम्पन्थ में उन्दोंने फड़ा हे कि चंद ने घपने हाथ से उसे राया चना टिया था | शेप दो के सम्पन्ध में उन्होंने कुछ भी नहीं रद्द है। नान्राम फा यंशदण भी इन दो ये सम्पन्थ में सौन है । सूर को यद भी चन्द फे दूसरे पुत्र फे ही चंदा में चताता है परन्तु उसका नास शुस्यचंद न यनाफर जलल य्रताता ही 1 गुण- चन्द उनके श्नुसार सबसे जेटे का नाम है । चंद के पुन्नों सें यल्ल ही कि प्रसिद्ध है । ्पने पिना के ्रघूरे अन्य एस्वौरायरासों को उसी ने पूरा किया था । मालूम दोना ए कि दसी से प्रसिद्ध फयि सूरदास के पूर्वजों में वही नाम भार--परम्परा में प्रसित दो गया । ्रतणय इस टसे स्टति-दोप मान सकते हैं । दा खकना ६ फि जेठे फा नाम जव्ल रा दो जिसे चन्द ने प्पने जीते जी उवालादेश दे दिया था । प्रथ्योराजरासों का श्रास फल जो संदर्भ मिलता दें उसकी ऐतिहा- सिंकता के चिपय में चुत कुछ कगद़ा चल झुका है । सदामद्दोपा्याय गारीशं कर शीराचंद श्रोका उसमें चर्णित घटनायं तथा संबतों को शिला- लेखों के श्राधार पर गलन सिद्ध कर घुके हैं । कम से कम यद तो सभी को मान्य है कि उसका थोड़ा ही सा धंश चंदकृत है | ्रकयर फे राजत्व कान में मद्दाराणा श्मरसिंद ने उसके यिखरे हुए छुन्दों को एकत्र किया था । चहुत से राजवंशों को प्रपनी कुल-प्रति्टा बढ़ाने का यह श्रच्छा मौका मिला । दसीसे कहते हैं इसमें ्वन्घाघुन्थ बाहरी सामग्री श्रा मिली है परन्तु चन्द के पुन्नों से सम्पन्घ रखनेचाला ंश इस प्रकार के प्रचिसांस की श्रेणी में नहीं श्रा सकत। | यह भी नहीं कहा जा सकता कि भाट लोगों ने ्पने-श्रपने चंशों का चन्द के पुत्रों से सम्बन्ध लगाने के लिए कहाँ तक जोद-तोट किया है । इम रासो के दद्तिपुन्न कवि चंद के वाले कथन को न दो विलकुल ही गलत कह सकते हैं न चिलकुज




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