क्रान्तिकारी | Krantikari

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.56 MB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about उदयशंकर भट्ट - Udayshankar Bhatt
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पुदणा ५५ ह_
दिचाकर (लापरवाही से हँसता हुआ मेरी पतन भी कोई शिनती
में हे ? मान लीजिए, मैं पतन करता हूँ, तो कया होगा ?
वीर (तुनककरत मैं विश्वास नहीं करती । शायद कोई भी भला
आठ्मी इसे पसन्द नहीं करेगा । आप मानेंगे, मेरे पति काफी पढ़े-लिखे हैं,
फिर उन्दे भी यह नात पथन्८ नहीं है ।
दिवाकर क्या शाप यह नहीं मानती कि आपके पति ने अपना
डिभाग, अपनी ताकत, अपनी सूकनवूक एक वडी ताकत के हाथ ने ढी
है श्रौर उतके पदली में थद छल; यह वैभव, यह आराम आपकों मिला है !
वीर इवमें कोई नई बात नहीं है । सभी तो ऐसा करते हैं । आप
भी कहीं-न-कदी नौकर होगे ही ?
दिवाकर (बात को बदलता हुआ) नविलाकुा विहाकुल, थद श्राप
सच कद रही हैं | लेकिंग आप मानेंगी कि सरकार से भी एक वड़ी ताकत
है | वह है दमारा देश, मारी भाठृभूमि |
वीर माठ्यूमि ! तो देशभक्ति का पेशा करते हैं झाप
दिचाकर (दँलकर) खूब, सचभुच देशभक्ति श्राजकल पक पेशा है
जो प्लेटफार्म से पैढा होकर वैंक वैलेन्स में समाप्त दो जाया है ।
चीछा (बात बदलकर) आपने तो देखा होगा केसा आप्मी है
बढ 1. खून तगड़ा मोटा, मर्यकर होगा । मारे पुलिस के श्राठमी उठसे
डरते है । %६ते हैं पिस्तौल का निशाना उसका झन्बूक होता है ।
[बीच बीच” कहकर कोई श्रावाज़ लगाता है । वीणा उ८कर
दाने राथाती है 1]
मैं श्रमी श्राई । (चली जाती हैं 1)
[बरामद के दूलरे कोने पर वीथणा और उसकी सखी कान्ता ाती
हु । दिवाकर खाँसता-खॉँसता बाथरूम में चला जाता दै ॥]
वीणा अरे कान्ता, बहुत दिनों नाव देला री ?
कन्ता.. ठुमके इसाने श्राई हूँ । श्रान मेरा जन्मथिनि हैं। शाम को
पॉच बजे चाय; कुछ साचा-वजाना दोंगा | मैं 'ाइती हूँ तेरा ड।न४ हो |
User Reviews
No Reviews | Add Yours...