क्रान्तिकारी | Krantikari

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Krantikari by उदयशंकर भट्ट - Udayshankar Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पुदणा ५५ ह_ दिचाकर (लापरवाही से हँसता हुआ मेरी पतन भी कोई शिनती में हे ? मान लीजिए, मैं पतन करता हूँ, तो कया होगा ? वीर (तुनककरत मैं विश्वास नहीं करती । शायद कोई भी भला आठ्मी इसे पसन्द नहीं करेगा । आप मानेंगे, मेरे पति काफी पढ़े-लिखे हैं, फिर उन्दे भी यह नात पथन्८ नहीं है । दिवाकर क्या शाप यह नहीं मानती कि आपके पति ने अपना डिभाग, अपनी ताकत, अपनी सूकनवूक एक वडी ताकत के हाथ ने ढी है श्रौर उतके पदली में थद छल; यह वैभव, यह आराम आपकों मिला है ! वीर इवमें कोई नई बात नहीं है । सभी तो ऐसा करते हैं । आप भी कहीं-न-कदी नौकर होगे ही ? दिवाकर (बात को बदलता हुआ) नविलाकुा विहाकुल, थद श्राप सच कद रही हैं | लेकिंग आप मानेंगी कि सरकार से भी एक वड़ी ताकत है | वह है दमारा देश, मारी भाठृभूमि | वीर माठ्यूमि ! तो देशभक्ति का पेशा करते हैं झाप दिचाकर (दँलकर) खूब, सचभुच देशभक्ति श्राजकल पक पेशा है जो प्लेटफार्म से पैढा होकर वैंक वैलेन्स में समाप्त दो जाया है । चीछा (बात बदलकर) आपने तो देखा होगा केसा आप्मी है बढ 1. खून तगड़ा मोटा, मर्यकर होगा । मारे पुलिस के श्राठमी उठसे डरते है । %६ते हैं पिस्तौल का निशाना उसका झन्बूक होता है । [बीच बीच” कहकर कोई श्रावाज़ लगाता है । वीणा उ८कर दाने राथाती है 1] मैं श्रमी श्राई । (चली जाती हैं 1) [बरामद के दूलरे कोने पर वीथणा और उसकी सखी कान्ता ाती हु । दिवाकर खाँसता-खॉँसता बाथरूम में चला जाता दै ॥] वीणा अरे कान्ता, बहुत दिनों नाव देला री ? कन्ता.. ठुमके इसाने श्राई हूँ । श्रान मेरा जन्मथिनि हैं। शाम को पॉच बजे चाय; कुछ साचा-वजाना दोंगा | मैं 'ाइती हूँ तेरा ड।न४ हो |




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