महाभारत की समालोचना भाग 1 | Mahabharat Samalochana Bhag 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.03 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
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No Information available about श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महाभारत अ्रंथ सर्वशास्का सारयंध्रह्द है ।
एवं जन्मानि कथगि चयक
तुरजनस्थ च। चर्णयन्ति सम
कचयो वेदणुद्यानि हत्पतेः॥।
श्री.मारयदत श४[1३५
अकतो अजन्मा आत्मा के कर्म और
जन्म जो वेदर्म गुप्त हैं, बेही कविलोग
कथाओंके मिषसे चर्णन करते हैं । ”
इत्यादि प्रकार ( १ ) अजन्मा और
अकरतां आत्माके जन्म और कर्मोका घृत्ता-
न्त जो विविध कथाओंमें दिखाई देता है,
वह शुप्त रीतिसे वेदरमंत्रों में है। इस
(९) बेदके तन का अलंकारों में परि-
बर्तन करके मूढ जनेंकि सुखबोध के छिये
कथाओं की रचना विविध प्रकार से की
गई है, ( ३) तात्पस वेदका ही अर्भ
भारत में कथाओं के मिषसे बताया
गया हैं ।
पूर्वोक्त महाभारत के चर्णन में भी
वेदादि घाखोंके तका विचार इस
अंथमें किया गया हैं, ” यह घात जा चुकी
है, उसका अनुसंधान यहां करना
चाहिये । अस्त इस प्रकार बेदका
आशय,;तथा अन्यान्य शाख्रों और मत्तम-
तांतरों का सार इस सद्दाभारत में हैं, यह
बात यहां स्पष्ट हो गई हैं ।
पाठक यदि महासारत मनन के साथ
पढ़ेंगे,तो उनको यहां सैंकड़ों विधाओं और
शाखका सार स्थानस्थानमें दिखाई देगा।
किसी न किसी कथा का मिप दिखलाकर
उसमें किसी शाख़का सार बताया गयाहै।
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न्यास
(१५)
इस प्रकार काव्यमय इतिहास और इतने
विविध शाख्ोंका संग्रह जिसमें इकट्ठा
किया गया हैं; ऐसा यही एक अपूर् ग्रंथ
है।इसको तुलना किसी अन्य मनुष्यनिर्मित
ग्रथ के साथ हो ही नहीं सकती । जिस
समय यह अपूर्व बरंथ निमाण हुआ उस
समय इसकी अपूर्वत्ता का . अनुभव
विद्वानों ने भी यथायोाग्य रीतिसे ही
किया था, देखिये--
अज्ञानातिमिगंधस्थ छोकस्य
तु विचेतः | ज्ञानाझनदा-
लाकाभिनेघ्रोन्मीलनकारण-
मू0८४॥ घमोधकामसोक्षाये!
समासच्यासकीतंतै। । लथा
'भारतसूयेंण चणां विनिहित
तमः ॥८५॥ पुराणपूर्णचन्द्रेंण
शरुतिज्योत्सनाः प्रकाशिता:;
चवाद्रिकिरवाणां च कूतमेत-
त्प्रकादानमू ॥ <८दे॥ इतिहा-
सप्रदीपेन सोहाचरणघाति-
ना। लोकग यह कूत्स्न
यधावत्संप्रकाशितस॥ ८७ ॥
सहाभारत जादि. भा. ६
* अज्ञानी लोगोंकि अज्ञान को दूर
करके इस मारतरूपी अंजन से जनताके
ज्ञाननेत्र खोल दिये गये हैं ! इसमें धर्म
अथे काम और मोक्ष का बर्णेन विस्तार
से और संश्रिपसे होनेके कारण इस भारत
सर्यने मानवों का अंधेरा दूर किया हैं |
पुराण पू्ण चंद्र के उदय होनेसे ही अथात्
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