हिन्दू - धर्म प्रवेशिका | Hindu - Dharma Praveshika
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.78 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ट्विन्दू ( माय ) घमें -
नव नकाज परिफरनप- नकल पक जे कर ४
माऊदे. माने जानेमें चुत ही सुविधायें मिलती हैं। इस कारण
माचीन काठमें नदियोंकि प्ररेशमें सवुष्योनि बसकर अपना सुधार
मर उन्नति कीं। मर्थानू व्यापार, शिरप-कला, सादिय, छुट्टम्थ,
राज्यवम ''मादि दिया जिन जिन वातोंमें सभ्य मनुष्य जज्नली
मतुष्यीफी झपेय्ा बढ़ें-चढ़ें हैं, इन सब चार्तोका इन्दीं नदियोंके
दूशमें विकाश हुआ ।
बुन्मेस पहले दो प्रदेशोॉमें आर्यधर्म 'और दरेक तरहके प्राचीन
सुधार नष्ट हो गये। जमीन सोदनेपर उसमेंस घासन, इथियार
“अशरोकित इटे उद्यादि पदार्थ निकलते दें जिनके साधारपर चदांकी
सम्यताफ़े दिपयें दम बहुत कुछ जानते दैं। फिन्दु सिन्खु और
गदा-यमुनाके म्रदेशमें च हुए लोगोंने जेसी पुस्तकें रचीं, बैसो
नाइल मौर यु टिस-टाइप्रिके प्रदेशमें; जो मिश्र, 'ासीरिया,
खाल्दीया मोर बेग्रीलोनियाफे नामसे विख्यात दें, चसनेवाले लोगोंनि
नहीं रचों । द्ो-र्माग-डो ओर चांगनसे क्यांगका तीसरा प्रदेश जो
वीन देश कइ्लाता है, उसकी सभ्यता भी वर्तमान दै। फ़िन्दु
इस देशके लोगोंनि सी गज्ञा-यमुनाके प्रदेशमें उत्पन्न हुए धर्मको
ही स्वीकार किया हैिं। कारिपयन सरोवर भीर उसके 'आासपासकी
नदियों के क्रिनारोंपर बसी हुई प्राचीन सभ्य प्रजा मार्य जातिके नाम-
से फद्दी जाती दै। ग्रह जाति बहुत पुगने समयते शोस; रोम, ईरान,
( झार्यन ) दिन्दुश्थान शोर जुदी जुरो जगदोंमें फीछी हुई थी । यह
श्माय-प्रजा सिन्ध नदोंके किनारे बसी | वहांसे गड्मानयमुनाके
प्रदेशमें इन सार्यलोगोंने जो धर्म फंछाया वही दृक्षिण दिन्दुस्थानमें
फडा। हमारा यह मत निःसन्देद ठोक दे कि प्रथ्वीपर फंंले हुए
किक निालपकानरकनातगलतलस,
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