राधेश्याम विलास | Radheshyam Vilas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(रुप) चिविधसमीर,चन्द्र,यमुनाजलसचलकरेया तुम्हींतोहो। तपन बुकया, सदन लजया,शुनिन सलंया तुम्हींतो हो। शेष, सुरेश, महेश, चतुमु ख ध्यान झुटेया तुर्होंतो हो । सयुरा जाये गोकुल० ॥ २॥ न खेलत गेंद गिरी कालीदह, तुरत कुदया तुम्हीं तो । मद मदन कर:सहस फन.पर नाच नरचेया तुस्हींतोही ॥ सेवा त्याग विदुर घर जाकर साग ख्ेया तुस्हों तो हो । खस्भफाड़, प्ह्माद राख, स्वर्णाक्ष हनेया तुम्होंतो हो ॥ भूमि ढार,ललकार,कंसकी शिखाखिंचेया तुम्हींतो हो । का सयरा जाये गोकुल० ॥ ३ ॥ दासी रुविमनि की पाती पढ़ दुःख हटेया तुम्हीं तोहो । दीन द्रौपदी को विनती सुन; चीर बढ़ेया तुस्हींतो हो ॥ गजकी चाहि सुन;जाय शाहके माण न्सैया तुम्हींतो हो । सखा, तातः पितुः शुरू हमारे संया भैया तुस्हीं तोहो ॥ राधेश्यास' के लाज रखेया, काम वनेया तुम्हीं तोहो 1 सथु(प जाये गोकुलश? ॥ ४ ॥ चकीए कैरी, + नणव्रीगईडलएए १0६०१ निशा दे हु लावनी नख्वर, ६ प गा हरी, हमारे, हमेश) हरदम: हरेक शे में, कलकर हे हैं । जोइनकी गुरूशनमें जाके देखा हरेकगुलमें चसक रहे हैं ॥ गुलाब सें गोपाल घिराजें ' बसें हैं गेंदे में गोधिन्द ॥ शुलमेंददी में शुर्णों के सागर सॉलश्री सें रहें मुकुन्द ॥




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