राधेश्याम विलास | Radheshyam Vilas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.28 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(रुप)
चिविधसमीर,चन्द्र,यमुनाजलसचलकरेया तुम्हींतोहो।
तपन बुकया, सदन लजया,शुनिन सलंया तुम्हींतो हो।
शेष, सुरेश, महेश, चतुमु ख ध्यान झुटेया तुर्होंतो हो ।
सयुरा जाये गोकुल० ॥ २॥ न
खेलत गेंद गिरी कालीदह, तुरत कुदया तुम्हीं तो ।
मद मदन कर:सहस फन.पर नाच नरचेया तुस्हींतोही ॥
सेवा त्याग विदुर घर जाकर साग ख्ेया तुस्हों तो हो ।
खस्भफाड़, प्ह्माद राख, स्वर्णाक्ष हनेया तुम्होंतो हो ॥
भूमि ढार,ललकार,कंसकी शिखाखिंचेया तुम्हींतो हो ।
का सयरा जाये गोकुल० ॥ ३ ॥
दासी रुविमनि की पाती पढ़ दुःख हटेया तुम्हीं तोहो ।
दीन द्रौपदी को विनती सुन; चीर बढ़ेया तुस्हींतो हो ॥
गजकी चाहि सुन;जाय शाहके माण न्सैया तुम्हींतो हो ।
सखा, तातः पितुः शुरू हमारे संया भैया तुस्हीं तोहो ॥
राधेश्यास' के लाज रखेया, काम वनेया तुम्हीं तोहो 1
सथु(प जाये गोकुलश? ॥ ४ ॥
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हरी, हमारे, हमेश) हरदम: हरेक शे में, कलकर हे हैं ।
जोइनकी गुरूशनमें जाके देखा हरेकगुलमें चसक रहे हैं ॥
गुलाब सें गोपाल घिराजें ' बसें हैं गेंदे में गोधिन्द ॥
शुलमेंददी में शुर्णों के सागर सॉलश्री सें रहें मुकुन्द ॥
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