भारत के ब्रह्मर्षि | Bharat Ke Brahmrshi

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Bharat Ke Brahmrshi by नर्मदेश्वर शर्मा - Narmadeshwar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारत के घ्रसपि | .. सर्दापि कपिल के शिप्य श्राखुरि और घासुरि के शिप्य ! पंचशिप श्ाचार्य नें सांख्य दुर्शन के चहुत से श्रत्थ चनाये हैं । ' पर इस समय थे सच घ्रस्थ लुप्त हो गये हैं। उसमें चहुतां का इस समय पता मिलना भी कठिन दो गया है। ईश्वर छृप्णु ने “सांज्य का रिका' लामक ग्रन्थ चनाया हैं । यह घ्रन्थ प्रामाणिक शोर उच्स समझा जाता है। इस समय सांख्य दर्शन के जो सूघ पाये जाने हूं उतकी श्पेर य फारिका का छादर प्राचीन घ्याचार्या' दे छिक किया हैं। भगवान शंकराचार्य ने सांप्य दर्शन के मत खरडन करने फे समय सर को छोड़ कर सांय्य कारिका ही उद्धुत की है. । इससे यद्द वात रपए्ट मातम पढ़ती दे कि भगवान शंकराचार्य के मत से प्रचलित सांख्य सूचो की ध्रफ्क्षा सांय्य काका झाधिक छादरणान्र है । प्रचलित सांख्प दर्शन में ९४६ सूत्र हैं । ये सच ६ ध्यायों मैं चेंटे हैं । पदले छध्याय हैं हेय, देयहेतु, दान घर दान हेतु का निरुपण हे । दुम्ख देय दे । प्रद्धत पुरुप का झावियेक सवा छेद पान दी दुम्ख का देतु है दुग्ख को व्यस्त निदृत्ति दान दे 1प्र्धति 'र प्रद्मति के कार्य घुद्धि ादि से सिच्न हैं । इस प्रकार का घान शत्यन्त डुश्ख निदृत्ति का कारण है । प्रथम शध्याय में इन्हीं बातों का निणय किया गया है । दूसरे श्रध्याय में प्रकृति के सूचम कार्य, तीसरे व्यव्याय यें प्रकृति के स्थूल कार्य, लिंग शरीर, स्थूल शरीर, पर घेराग्य और पर चेराग्य का निरुपण किया गया है। चौथे शव्याय में शासन प्रसिद्ध झाख्यायिकाश्मों के दास




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