उपनिषद | Upanishad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.5 MB
कुल पष्ठ :
544
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नमन [ है
म्यतं वदिष्यामि सत्य' वदिष्यामि । तन्माम-
मवठु । तद्वक्तारमवतु । अवतु मामवदु वक्तार-
मवतठु वक्तारम । भ
मेरी वाणी मनमें स्थित है, मेरा मन वाशीमें स्थित है। हे खप्रकाश
श्रम तुम मुझे प्रकट दो, मुझे ज्ञाच प्राप्त हो । मेरा श्रवण किया
हुआ 'सुमसे शुलाओ नहीं, में रात दिन पढ़े हुए का अनुसंधान
करता हूँ । मैं शाखरालुसार भाषण करूंगा, में सत्य भाषण करूंगा ।
बह मेरी रक्षा करें, बक्ताकी रक्ता करें; सेरी रक्षा करे तथा वक्ताको
रक्षा करे)
ऊ? भद्दे क्रोंमिः शुणुयाम देवा भद्रपश्ये
माच्षसियंजत्रा: । स्थिरेरंगेस्तुष्टवांसस्तनूभिव्यं-
शेम देवहित॑ यदायु+ ॥|
हूं दब, हम कान स कल्याण का वात सुन, आाखा स कल्याण
देखें । दृढ़ अंगों से तथा शरीर से अपनी इंश्वर प्रदत्त आयु हमे
तुम्दवारी स्तुति करते हुए व्यत्तीत करें 1
नमन ।
ऊु नारायण पर्भवं वसिएं शक्ति चतत्पुत्र
पराश्रंच । व्यास शुकं गोडपदं महान्त॑, गोविन्द
योगीन्द्र मथास्य शिष्यम् ॥! १॥
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