राज योग विद्या | Raj Yog Vidhya
श्रेणी : योग / Yoga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.21 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं सत्येश्वरानंद शर्म्मा लखेड़ा - Pt. Satyeswaranand Sharmma lakheda
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थ् चिंपय प्रवेश |
““रणवन्वु विश्वे अग्धतस्य पुत्रा आये घामानि
दिच्यानि तस्थुः” ।
“वेडाहसेतं पुरुष सहान्त मादित्यवर्ण तससः परस्तात्|
तमेव॑ विदित्वातिसत्युसेति नान्यः पन््था बिद्यते-
यनाय |
दे भूत की सन्तानों ! दे दिल््प घास निधासियों ! खुनों
इस अलघ्वानान्धकार से छान रूपि श्रकादा में पईुचसे
का रास्ता पा लिया है; - जो इस सारे तस ( अन्धफार ) से परे
हूं उनको जान लेने से ही, उल श्ञानोज्घल (शान से देदीप्यसान)
स्थान में पहुँचा जाता है; सुक्ति का इससे अतिरिक्त और कोई
उपाय नहीं है ।
राजयोग चिया इसी सत्य को प्राप्त करने के लिए और
इसमें यथार्थ सफलता पाने के लिए थ इस साधना के उपयोगी
चैज्ञानिक घणाली को मनुष्यों के विपय में स्थर्पित करने का
घस्ताव फ्रती है । इसमें सबखे पदिटी वात तो यह
है, कि घत्येक चिद्या फी दी अनुसन्धान व. साधन प्रणाली जुदी
खुददी हुआ करती है । जैसे यदि तुम ज्योतिपि होना चाइो, और
चैठे २ केबल ज्योतिप २ की रद छगाकर खिल््छाते रदो, तो
ज्योतिप का तुम्दें कुछ भी ज्ञान न दो पायेगा । रसायन-शास्त्र
के विषय में भी यही घात है, इसमें सफ्ंखता पाने के लिए भी
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