हिन्दू मत और मसीही मत | Hindu Mat Or Msiha Mat

Hindu Mat Or Msiha Mat by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मसोह्दी मत । इेश्वर सक है । ् से बच गया है जा पुराणों में पाई जाती हैं पर उस में एक सच्चे परमेश्वर का बणेन नहीं है जिस का हम ढुंढ़ते हैं। के ष्ट झ् शंकराचाय्ये झार रामानुज । पर सब वेदान्ती यह मत जैसे कि ऊपर लिखा गया है नहीं मानते हैं । इस मत का विशेष कत्ता या टीका- कत्ता शंकराचाय्य हैं जिस ने वेदान्त सच की टीका लिखी पर उस वेदान्त सच का सका त्रार प्रसिद्ध टीका- कार है अधात रामानज जिस ने अपने श्री भाष्य में वेदान्त सच का दसरा वणेन किया है उस की शिक्षा है कि वह जा सगण इंश्वर है वच्ी घ्नह्म है त्रार मनध्य सक प्रकार से इंश्वर से भिन्न है श्राॉर सदा भिन्न रहेंगे इंप्वर में लालोीन नहीं हावेंगे । शंकराचाय्य की शिक्षा की अपेक्षा रामानुज को शिक्षा नाना प्रकार से अच्छो है पर मालूम दाता है कि रामानुज श्रौर उस के अनुकारी निगुण ब्रह्म के जाल से बचके देवताओं के फन्दे में बकफ गये हैं भ्रेर वे नाना प्रकार को बातें मानते हैं जा मानने के याग्य नहीं हैं । मंसीदी मत । इंश्वर एक है । अब देखना चाहिये कि मसोही शिक्षा में इग्वर के बारे में क्या कहा जाता है । इंश्वर एक है । देवताओं तर देवियों की कह चचा नहीं जिन की पजा करने से किसी प्रकार का लाभ हा सकता हे । प्रवक्ता लेएग नित्य




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