आहार और आरोग्य | Aahar Or Aarogya
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.84 MB
कुल पष्ठ :
278
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्राह्वर श्र श्रारोग्य धर
भोजन से समनन्घ रखने बाली प्रत्येक बात का विवेचन मैं श्रागामी पृष्टों में,
यथात्थान विस्तारपूर्वक करने की चेष्टा करूँगी । यहाँ पर इतना दी जान लेने
की श्ावश्यकता दे कि भोजन के साथ हमारे शरीर श्रौर जीवन का श्या सम्नन्व
है श्रौर भोजन क्यों किया जाता है । कुछ लोग ऐसे हैं जो भोजन करने के -
लिए; जीवित रइना चाहते हैं । मैंने न जाने कितने स्री-पुरुषों के मुख से उनकी
शारीरिक दुरवस्थाश्रों के समय सुना है, ““श्रब जीवित रहना व्यय है । न खाने
का सुख श्रौर न पीने का ।” यह मनुष्य जीवन की कितनी बढ़ी भूल दे। खाने के
लिए; जीवित रहना, जीवन का सत्य नहीं दे । जीवित रहने के लिए; भोजन करना
जीवन का सत्य है । इस सत्य को जानने श्रौर समकने में दी इमारा कल्याण हे |
'भोजन के प्रयोग और परिणाम
हमारे शरीर का भोजन के साथ क्या सबधघ है, इसको सम लेने के
पश्चात् उसके प्रयोग और परिणाम का जानना श्रावश्यक है । एफ मोटी सी
वात यदद है कि जो वर इमारे लिए श्रघिक से अधिक उपयोगी हो सकती है
वही हानिकारक भी होती हे । प्रकृति का यह नियम दे । वर्षा खेनी का प्राण है.
परन्तु वहीं उसके विध्वस का कारण भी है। सूय की धूप हमारा जीवन है किंद्
उसके द्वारा इमारा नाश भी दोता है । जि जल के बिना जीना कठिन दै, उसी
हें प्राण भी जाते हैं | प्रऊृति की सम्पूर्ण वस्तुओं के साथ दपारा यद संबंध है १
मनुष्य के जीवन का हित श्र झदित सदुपयोग श्रौर दुस्पयोग पर निर्भर
है । भोजन के संबंघ में भलीमाँति इसको समभकने की श्रावश्यकता है । मैं खूब
जानती हूँ कि साघारण श्रवररया में स्त्रियों श्रीर पुरुषों को इन बातों का शान
नहीं दोता । उनकी जानकारी के लिए प्रयत्न करना पता दे श्रौर प्रयत उसी
श्रवस्था में संभव है, जब हमको उसकी दावश्यकता हो । जिसकी हमें झाव-
श्यकता नहीं है, उसकी जानकारी श्रपने श्राप नहीं हुआ करती । जीवन का जो
सुख 'उठाना चाहते हैं, उनको सत्य श्रौर सद्दी बातों के जानने को श्रावश्यकता है ।
मनुष्य प्राय: स्वाइुप्रिय है । भोजन में उसे एक सुख मित्रता हे । यह सुख
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