आहार और आरोग्य | Aahar Or Aarogya

Aahar Or Aarogya by श्रीमती ज्योतिर्मयी ठाकुर - Shrimati Jyotirmayi Thakur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्राह्वर श्र श्रारोग्य धर भोजन से समनन्घ रखने बाली प्रत्येक बात का विवेचन मैं श्रागामी पृष्टों में, यथात्थान विस्तारपूर्वक करने की चेष्टा करूँगी । यहाँ पर इतना दी जान लेने की श्ावश्यकता दे कि भोजन के साथ हमारे शरीर श्रौर जीवन का श्या सम्नन्व है श्रौर भोजन क्यों किया जाता है । कुछ लोग ऐसे हैं जो भोजन करने के - लिए; जीवित रइना चाहते हैं । मैंने न जाने कितने स्री-पुरुषों के मुख से उनकी शारीरिक दुरवस्थाश्रों के समय सुना है, ““श्रब जीवित रहना व्यय है । न खाने का सुख श्रौर न पीने का ।” यह मनुष्य जीवन की कितनी बढ़ी भूल दे। खाने के लिए; जीवित रहना, जीवन का सत्य नहीं दे । जीवित रहने के लिए; भोजन करना जीवन का सत्य है । इस सत्य को जानने श्रौर समकने में दी इमारा कल्याण हे | 'भोजन के प्रयोग और परिणाम हमारे शरीर का भोजन के साथ क्या सबधघ है, इसको सम लेने के पश्चात्‌ उसके प्रयोग और परिणाम का जानना श्रावश्यक है । एफ मोटी सी वात यदद है कि जो वर इमारे लिए श्रघिक से अधिक उपयोगी हो सकती है वही हानिकारक भी होती हे । प्रकृति का यह नियम दे । वर्षा खेनी का प्राण है. परन्तु वहीं उसके विध्वस का कारण भी है। सूय की धूप हमारा जीवन है किंद् उसके द्वारा इमारा नाश भी दोता है । जि जल के बिना जीना कठिन दै, उसी हें प्राण भी जाते हैं | प्रऊृति की सम्पूर्ण वस्तुओं के साथ दपारा यद संबंध है १ मनुष्य के जीवन का हित श्र झदित सदुपयोग श्रौर दुस्पयोग पर निर्भर है । भोजन के संबंघ में भलीमाँति इसको समभकने की श्रावश्यकता है । मैं खूब जानती हूँ कि साघारण श्रवररया में स्त्रियों श्रीर पुरुषों को इन बातों का शान नहीं दोता । उनकी जानकारी के लिए प्रयत्न करना पता दे श्रौर प्रयत उसी श्रवस्था में संभव है, जब हमको उसकी दावश्यकता हो । जिसकी हमें झाव- श्यकता नहीं है, उसकी जानकारी श्रपने श्राप नहीं हुआ करती । जीवन का जो सुख 'उठाना चाहते हैं, उनको सत्य श्रौर सद्दी बातों के जानने को श्रावश्यकता है । मनुष्य प्राय: स्वाइुप्रिय है । भोजन में उसे एक सुख मित्रता हे । यह सुख




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