सूत्रधार का मकान | sutradhar ka mkan

sutradhar ka mkan  by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[ र७ कायल जितने ललनवेदी नननाईी नर -व,, चीनी नयी वि कि 4 2. ४ वि ८. ख-नफ-सॉन धर्म जाये, दीठ जाये, जिसमें कुठकी आन जायें। रजा-चुप चुप ओ ज़वांदराज़ लडकी चप रह अगर मेरे प्रश्नों का उत्तर देना नहीं चाहती तो कुछ और भी न कह ; में तुझे हुक्म देता हैं कि अपनी ज़बान बन्द रख ओर ख़सादा रह, वर्नः में खुद तेरे ठिये कोई वर पसन्द करके ब्याह ूंगा इसमें तुझे रंज हो या राहत हो लेकिन फिर मुझ से कुछ न दिकायत हो मैना०-हरगिज़ नहीं दखकी करनी करके आया सुख. कहंसे पाये नोये पेड़ बवूठ के तो आम कहां से खाये कर्मों ही में सुख नहीं तो सुख कहां से आय जो कर्मन की रेख हैं बह केसे समिट जाये 1 गना-फिर यही कर्मी का झमेठा निकाला. द्रव अय नादान लड़की जिद दे वगरना मरें 'गस्से की आग ज़ियादा सडक जायगी तो समझ लेना अपने को बजाय इन सुन्दर महलीं के किसी झोंपड़े में पायगी ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now