मद्वाल्मिकी रामायण | Madwalki Ramayana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
62.17 MB
कुल पष्ठ :
1132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छ श्रीमद्रामायणपारायणोपक्रमक्रम:
गोष्पदीक्तवाराशि मशकीकृतराक्षसम् । रामायणमहामाठारलें वन्दे5निलात्म
अज्ञनानन्दनं वीरें जानकीशोकनाशनमस् । कपीशमक्षहन्तारं वन्दे ठड्वाभयज्रम् ॥
सनोजबें मास्ततुत्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठमू ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्य श्रीरामदू्त शिरसा नमामि ॥
उछब्य सिन्धोः सठिलं सठीलं यः शोकवड्धिं जनकात्मजायाः ।
आदाय तेनैव ददाह ठट्ढां नमामि त॑ प्राज्नलिरालनेयमू ॥
आज्ञनेयमतिपाटलाननं काश्नाद्रिकमनीय विश्वहस |
पारिजाततसुमूठवासिन भावयामि पंवमानसन्द्लसू 1
: यत्र यत्र रखुनाथकीतन तत्र तत्र कृतमस्तकाज्नठिम् ।
याष्पवारिपरिपूर्णठोचनं मारूति नमत राक्षसान्तकम् ॥
वेदवेथे परे पुंसि जाते दशरथात्मजे । वेदः प्राचेतसादासीत् साक्षाद्रामायणात्मना |
तदुपगतसमाससन्धियोगं सममधघुरोपनतार्थवाक्यवद्धसू ।
रघुवरचरिते सुनिम्रणीतें दशशिरसश्च चर निशामयध्वमू ॥
श्रीराववं द्शरधात्मजमप्रमेय सीताप्ति रघुकुलान्वयरलदीपस् ।
आजानुचाहुमरविन्द्द्लायताक्षं राम॑ निशाचरविनाशकरं नमामि ॥
वैदेहीसैहित सुरद्रमतले हेमे महामण्डपे
मध्येपुष्पकमासने सणिमये वीरासने सुस्थितम् ।
अग्रे वाचयति प्रमल्लनसुते तसवं सुनि्यः पर
व्याख्यान्ते भरतादिमिः परिदृत राम भजे श्यामठम् ॥
॥ साध्वसंप्रदाय:
शुक्ञाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्ण चतुर्ुजस् । प्रसज्नवदनं ध्यायेत् सर्वविज्नोपशान्तये ॥ .. ; ,
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लक्ष्मीनारायणं वन्दे तद्धक्तप्रवरों हिं यः । श्रीमदानन्दतीथौख्यो गुरुस्त॑ं च नमास्यहस् !
वेदे रामायणे चैव पुराणे भारते तथा । आदावन्ते च मध्ये च विष्युः सर्वत्र गीयते ॥ '
सर्वविध्नप्रशमनं-'सर्वसिद्धिकर पंरम्ू । सवजीवम्रणेतारं वन्दे विजयदं हरिमू ॥
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