जैसलमेर का इतिहास | Jaislmer Ka Itihas

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Jaislmer Ka Itihas by हरिदत्त गोविन्द व्यास - Haridutt Govind Vyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इतिहास । श अपने घर ले आया, रानी शैव्या ने बाहर निकल कर ज्यामोघ से पूछा “आज मेरी जगह पर किसको बैठा लाये हो ? ? राजा ने भयभीत होकर उत्तर दिया “हे मद्दारानी ज यह तुम्हारी 'पुत्र चधू हे” । इस पर रानी ने कड़क कर जवाब दिया “में तो चन्घ्या श्रौर असपत्नी हू इस लिये इस समय पुत्र चधू की कया आवश्यकता है ” । राजा ने विनय से कहा- “महारानी जी ! जब आपके कु चर होगा तभी इसकी आवच्य- करता पड़ेगी” इस प्रकार देवताओं ने राजी को प्राण संकट में पडा हुआ समभ कर शैव्या की वन्ध्यावस्था को दूर किया । थोड़े ही दिनों के पश्चात्‌ ज्यामोघ ने 'शैव्यो में से विदर्भ नाम पुत्र उत्पन्न किया परन्तु उस समय ज्यामॉंघ के विषय में यह प्रचाद सर्वत्र प्रचलित हो गया था -- मार्यावद्यास्तु ये केचित्‌ भविष्यंत्यथवा सूताः । तेपातु ज्यामघः श्रेष्ठ शैव्या पति रभून्द्पः ॥ शर्थात्‌ स्त्री से डरने वाले जितने राजा हो गयें हैं अथवा होने चाले हैं उन सब में मदह्दारानी शेव्या के पति ज्यामोघ ही सर्व श्रेष्ठ हे। १८ चिदुर्भ के १८ क्थ। कथ के छुस्ति । २० कुन्ति के घृष्टि। २९ ध्रष्टि के निवति । २२ निव्व॑ति के दशाह । २3 दशाहं के व्यौम, २४ व्यौम के जीमूत, २५ जीमूत के थिछति, ६ चिछति के भीमरथ, २७ भीमरथ के नचरथ, २८ नवरथ के दशरथ, २८ दशरथ के शकुनि, ३०शकुनि के करमि, 3१ क- रंभि के देव रात। ३२ देवरात के देव च्तत्र। २३ देवक्ेत्र के मधु। ३४ मघु के छुरुवश 1३२५. कुरुवशः के श्रनु०६। श्र के पुरूद्दोत्र। ३७ पुरूद्दोत्न के आयु । 3८ छायु के सात्वत 1 ( यु के अनुरुूद्ध और उसके वद्ध नामक पुत्र हुआ 9 २ सात्वत के श्रन्घक 1४०न्घक के भजमान । ४१ मजमान




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