वैदिक सिद्धान्त सम्पन्न | Vedic Siddhanta Sampann
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.64 MB
कुल पष्ठ :
276
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
नाथूराम शंकर शर्मा - Nathuram Shankar Sharma
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हरिशंकर शर्मा - Harishanker Sharma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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व पलपल जा हा तारा ला ध्ा्भाध्भत्धाभाधाााशाशााशाएएल्ुएएंटा,
पभने अतुकूल काल फेरा ।
चमके अनुरागरत्त मेरा ॥१४॥
त्तनदश्य जरा अशक्ति का है । घन भाजन जाति भक्ति का है ॥।
धनराशि न पास दास को है । सदुभापण मात्र मान को है ॥
यश उज्ज्वलका उधार घरा ।
चुपके शनुरागरत्त मेरा ॥१५॥।
! झनुभूत विवेक यंत्र ढाला-। मथ सत्यसमुद्र को निकाला ॥।
' घर चण सुवणे में .जड़ा है । हित के हिय हार में पढ़ा है ॥
चतलाये-न लाख का लखेरा ।
पमके झनुरागरत्त पमंरा ॥१६॥।
सगवती-सारती'
( सारठा )
जिसके आननचार; उत्तम $अन्त!करण हैं ।
दुद्दिता परमोदार; उस#विरज्चिकी भारती ॥९॥
ं
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न सरस्वतीकी सहावीरता (४)
+( सुजड़म्रयात )+
-महावीरता भारती धारती है ।
प्रमादी मह्ामोछकों मारती हट ॥
बड़ोंफे बड़े कासकी है लड़ाई ।
सिलीश्री/सिली है, सिलेगीवड़ाइ ॥१॥
न भारती न सरस्वती ” घायसुदेवता ” जीव की चंद शाक्त ।जस
क द्वारा सपने विचारों फो दूसरा पर प्रकट फरता दे मार शात्मशता
पूनक घ्रह्मफा च्याख्याता घनता द
$ उप्तम झन्तः: फरर न सत्यसस्पसमन १, ानाचशिएायुस्ध २५
योगयुक्त ।वित्त २. पात्मप्रति्ठापूशा झद्देकार ४7
% विराब्चि न चह्मा मात जीवात्मा ”
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