प्राचीन भारत | Prachin Bharat

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Prachin Bharat by सकलनारायण शर्मा - Sakalnarayan Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कमारतीय स्त्रियां--आधुनिक झओर प्राचीन कुमारी प्मा मिश्र, एम० ए० किसी भी देदा की सस्कृति और सभ्यता का बोध साधारणतया वहां की ल्ियों की सामाजिक स्थिति से हो जाता है। इसी तरह भारतीय नारियों की दशा यहां की विभिन्न काल की संस्कृति को दयोतक रही है। अंगरेजो के भार में अधिकार स्थापित करने के समय सस्कति के साथ दी साथ यहा की बयां की स्थिति बहुत शोचनीय हो गई थी । उनका कमें्रेत् घर को चहरदीवारी तक ही सीमित था ।. पड़ना छिखना सीखना उनके नेतिक पतन की पहलो सींड़री समका जाता था ।. गृह-प्रबन्ध और धघामिक की में भाग लेना केवल एक नाम मात्र की प्रथा थी ।. पढ़ें के कारण तो उनके रहे सहे अधिकार भी जाते रहे । उनके मनोरजन का साघन था. पारस्परिक निन्दा--और प्रवीणता थी उनकी बत्तियां बनाने में । इस प्रकार पढें से जकड़ी, दिक्षा से दूर और अधिकारों से वित नारी अपनी जीवन-नौका को संसार की लहरां की दया पर छोड़ चुकी थी । विधवाओं की दा तो और भी गई बीती थी । पुर्नविवाह का नाम जना तो क्या, उसका विचार भी मन में लाना पाप था । उन्हें तो किसी ने किसो तर अपने भारस्वरूप जोवन को गा अर अपनानों के वीच व्यतीत करना पढ़ता था । यह थी अरे जी के अधिकार स्थापित करने के समय भार पेय नारियों की अवस्था । अगरेज्ञीं के शासन के साथ हो साथ उनकी संस्कति ओर उनके विचार भी हिन्दुस्तान में आते गये, जिनके सघर्षण से भारतीय सभ्यता ने भी अमडाई लो और भारतीयों को सुधारों की आवश्यकता मालम पड़ी ।. भारतीय पु से खित्रें। के प्रति अपने उत्तरदायिय को समस्या और उनके पक्ष को लेकर वे आगे बडे । ल्रियो ने भी अपनी दया सुधारने की ठ'नो ।. उन्होंने घर से निकड कर जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी प्रबेज किया. और वे भपूव सफलता पाई ।. राजकार्स में निपुग, ओजस्वी व्याख्यान देने में कुशल और सामाजिक सुधारों में दक्ष मदिलाओं को आज कमी नहीं है । बज़ाल में मिसिज् मुरदोद, पंजाब में बेगम शाहनवाज और बम्नई में हसा मेहता पार्लियामिन्टरी सेक्रंडरी के पद पर प्रतिष्टित हैं । मिगिज़ ज़ूबेदा अतरू रहमान आसाम की और बेगम अज़ीज़ रसूल रायुक्त प्रान्त की व्यवस्थापिका सभा की उपसभानेत्री हैं। मद्रास में भी ल्रियों की प्रतिनिधिस्वरुप श्रीमती रुक्मिणी लक्ष्मीपति लेजिस्लेखि असेम्बली की डिप्टी स्पीकर हैं। संयुक्तप्रान्त में उपसभानेत्री दो नहीं किन्दु मन्त्री के पद पर भी विजयलक्मी पण्डित जैसी सुयोग्य कार्यकर्ती की नियुक्ति से ल्ली-समाज का मस्तक ऊंचा दो गया है । अवैतनिक हक कक जन थ मनन. दमन लय कि आग # १४ अर्प्र ले को बलगीर ( पटना स्टेट ) में पढे गये भाषण का माषान्तर । २६-२९




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