जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग २ | Jain Sahitya Ka Brahad Itihas Bhag 2

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जगदीशचन्द्र जैन - Jagadish Chandra Jain

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मोहनलाल मेहता - Mohanlal Mehata

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हू श४ 2 इुमबुष्पित ८ श्ामण्यपूर्विक र्टर झ्लुलिकाचार-कथा श्ट्रे पडजीवनिकाय श्र पिण्डे बणा--पहला उद्देश २८४ पिण्डेषणा--दूसरा उद्देश १८ महदाचार-कथा श्द् वाक्यशुद्धि श्ट७ भआाचार-प्रणिघि श्ट्ट विनय -समाधि---पहछा उद्देश श्८९ विनय-समाधि--दूसरा उद्देश श्टर विनय समाधि--तीसरा उद्देश हू वितय-समाधि--चोथा ठदेश श९० समिलु १९० पहली चूलिका--रतिवाक्य ९१ दूसरी चूलिका--विविक्तचर्या १९१ ४. पिंडनियुक्त १९५-१९८ आठ अधिकार १९५ उद्मदोष १९६ जल्पादनदोष २९६ एपणादोष १९७ ०. ओधनियुक्ति २०१--२१० प्रक्लिशना २०१ पिंण्ड २०७ उपधि र्‌०्ष अनबितन आदि २१० ढेद्सूत्र १. देज्ाध्रुतस्कंघ रशणर३४ डेइवेंओं का महत्व श्श्पू




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