जैन साहित्य का बृहद इतिहास भाग - 4 | Jain Sahity Ka Brihad Itihas Bhag - 4

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Jain Sahity Ka Brihad Itihas Bhag - 4  by मोहनलाल मेहता - Mohanlal Mehata

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५ ) -ध्मंसार सावयघम्मतत नवपयपयरणं उपासकाचार श्रावकाचार श्राविकघमंविधि श्राद्धगुणश्रेणिसब्रह -घम॑रत्नकरडक चेइअवदणभास -सघाचारविधि सावगविहि गुरुदणभास पच्चव्खाणभास -मूलसुदधि आराहणा आराहणासार आराधनां सामायिकपाठ किंवा भावनाद्वात्रिशिका 'आराहणापडाया स्वेगरगशाला आराहणासत्थ 'पचलिगी -दसणसुद्धि सम्यक्टाङकार यतिदिनकृत्य जइजीयकप्प जइसामायारी 'पिडविसुद्धि सड्डजीयकप्प सड्डदिणकिच्च -सडविहि २७४ २७४ २७५ २७६ २७७ २७७ २७८ २७९ २७९ २८० २८० २८० २८१ २८१ २८२ २८४ २८५ २८५ २८५ २८५ २८५ २८६ २८६ २८६ २८६ २८७ २८७ २८८ २८८ २८८ २८९




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