रासमाला भाग २ | Rasamala Bhag-2

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Rasamala Bhag-2 by गोपालनारायण बहुरा - Gopalnarayan Bahura

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गोपालनारायण बहुरा - Gopalnarayan Bahura

Add Infomation AboutGopalnarayan Bahura

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
न. नर १७ नाव की रीति से झ्रपने ग्रन्थ का नाम मिरात-ई-सिकन्दरी भ्र्थाद्‌ सिकन्दर की श्रारसी रखा है । इस श्रारसी मे सुल्तानों के कृत्यो का यथातथ्य प्रतिविम्ब दिखाना ही उसका अभिप्राय है। जिन बातो का प्रमाण प्राप्त नही हुप्रा उनके नीचे खरी खोटी परवरदिगार जाते ऐसी टिप्पणी दी है । ३६२८ ई० में जहाँगीर बादशाह श्रहमदाबाद गया थां तब शाही बाग में रुस्तमवाडी के समीप सिकन्दर की हवेली के बाग में से लटकते हुए मीठे भर जीर- उसने स्वय तोड कर खाये थे 1. हाजी ग्रदबीर भ्रन्तिम सुल्तानो के समय मे मुहम्मद उलुग खाँ की सेवा में था । उसने युजरात का भ्ररबी इतिहास लिखा है जिसका नाम जफरुल चालीह व मुजफ्फर ब वालीह है । इसमें उसने यहाँ के श्रमीरों के विषय में बहुत कुछ व्रत्तान्त लिखा है । सचु १५०४५ ई० के परचातु यह पुस्तक समाप्त हुई थी । तब से ३०० वर्ष गुप्त रहकर श्रन्त में बीसवी शताब्दी के आरम्भ मे प्रकाश में पाई है । अकबर बादशाह के समय में जो हिन्दुस्तान के इतिहास लिखे गये उसमें गुजरात की सल्तनत का पूरा पर क्रमबद्ध वर्णन मिलता है । ये इतिहास तवारीख-ई-फरिस्ता श्रकवर नामा तबकातर-ई- श्रकृबरी ग्रादि हूं । इनमें से तबकात-ई- श्रकबरी का कर्ता ख्वाजा निजामुद्दीन अहमद इंस सुवे-का वसख्यी रहा था श्र गुजरात में खुब घूमा था इसलिये इसका लिखा हुआ इतिहास सबसे अधिक प्रासारिफिक है । गुजरात के फारसी-ग्ररबी इतिहासों में अलीसुहम्मदखान का लिखा हुआ ग्रन्थ सर्वोत्तम मांना जाता है। उसका पति आर चह स्वर्य अन्तिम सुगुल वादशाहों के समय में गुजरात के श्रमीर रहे थे। वह गुजरात का अन्तिम कादशाही दीवान था । उच्चपद पर नियुक्त होने के कारण राज्य के दफ्तर उसके हाथ में थे और मिट्टालाल कायस्थ जैंसे श्रनुभदी अहलकारों का पूर्ण सहयोग उसको प्राप्त था । इस




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now