भारत - भ्रमण खंड -३ | Bharat Braman Khand-iii

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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_ पटना और वांकॉपर । ः द्‌ झंगे; जो किसीकी कुछ पुछना द्ोगा, वे उसीमें बेख छेवेंगे (० गुरु गीदिन्द सिंद के जीवन का बड़ा भाग युद्ध में वीता; उन्हों ने संवत १०६५ कातिक दी पंचमी ( सन्‌ ₹७०८ ईं० ) को हैदराबाद के राज के नवेड़ में मुसक धानों से लइ़कर संग्राम में अषने माण का ब्रिसर्मन किया) वहां.गुरु गोविन्द- सिंदद की संगति वनी हुई है । र पटनंदेवी-दरि मन्दिर से दक्षिण ओर एक गछी के बगल में छोटी पटनवेवी का मन्दिर है । आंगन के पूर्व ओर पश्चिम दोहरी झीर उत्तर तथा दक्षिण एकइरी दालान और चारों कोनों पर चार कोठरियां हैं । पूर्व के दालान में १२ खम्मे लगे हुए आसन में मददाफाली, मददालकषमी और महा- सरस्वती की तीन मूर्तियां स्यित हैं। चौक से ३ मील पश्चिम मद्दाराज गंज में वढ़ी पदनवेवी का मन्दिर है लोग कहते हैं कि पार्वती के पट के गिरने से वहां पाटनदेवी हुई और इस दाहर का नाम पटना पढ़ा । गोछघर-चांकीपुर के रेलवे स्टेशन से १३ मीरू उत्तर ऊंचे गुष्यण की शुकल की ईटे से चनी हुई गोठघर नामक इमारत, जो सन्‌ १७८९४ ई० में अकाल के समय गरले रखने के लिये बनी थी, देखने छायक है । इसकी दीवार १२ फ़ीट मोटी) गोलाई नेव के पास ४२६ फीट, ऊंचाई मध्य में ९० फोट और भीतर का व्यास १०९ फ़ीट हे । चारो ओर चार दरवाजे और सिरे पर १०३ फीट गोलाकार चबूतरा है । ऊपर चढ़ने के लिये बाहर से दो सीढ़ियां; जिनके बगल में रोफावट ऊे लिये दीवार वनी है, बनी हुई हैं। छोग करते हैं कि नेपाल के सर जंगयहादुर छोटे घोड़े पर चढ़कर बाहर की सीढ़ियों से इसके सिरे पर चढ़ गए येभ गोलवर में १३७००० टन गरछा अंट सकता है। पटना 1जूला-इसका शेमफल २०७९ वर्गमीछ है | इसके उत्तर गंगा नदी, वाद सारन सुनफ्फरपुर और दरभंगा जिसे; पूर्व सुगेर जिला; दसिण गया जिला और पश्चिम सोन नदी, जो शादावाद जिल से इसको अलग करती है, बहती है ।.जिे के दक्षिण भाग में पदाड़ियां हैं ।. जिले में जंगल ष्




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