राजस्थानी लोकोत्सव | Rajasthani Lokotsav

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Rajasthani Lokotsav by गींडाराम वर्मा - Gindaram Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राजस्थानी लोकोत्सद खष्याप १ राजस्थान के त्यौहार स्योद्दार किसी भी समाज थ देश के जीवन में मददस्वपूर्ण स्थान रखते हूं । सभी देशों में चपने ध्पने स्याद्दार मिलते हूँ । इनके साथ उस देश फी संस्कृति रहती दूं । इनके साथ किसी भी जाति का धपना झद्धट सम्पन्थ रहता हूं। भारवब्रप में दोपाबली, दोली, गुश पतुर्थी, गौरी पूजन, लबराती, ईद 'यादि प्रमुस्य त्यीदार इमारे देखने में ते हूं। प्रान्तातुमार इनका सदस्य पट फर या थद़कर रद्दना है। गाज में दुर्गा पूजन, मद्दाराट्र मे गणरा चतुर्थी, मैसूर में दरादरा, राजस्थान में द्वीली; इततिय भारत में संग्रान्ति (पूँगर) धादि पड़ी धूमधाम से सनाये जाते दे पंसे हो लगभग सनी मुस्यसुस्य स्पेद्दार सभी द्रान्तों में समान हैं. किस्‍्तु किसी प्रास्त में पोई बोई त्यीदार पड़े दो उत्साइ से मनाया जाता है श्पीर इस पर वुमन हो भपि्य ध्यान दिया डाठा दे। स्पीड रा्ट्रीय एडना लाने में भी सदयोग देन हू जैसे दशा, दीरायजी, होली, चादि भारत के लगभग सभी भाें में मनादे जाते दूं । त्टौदाएं से एमारे समाउ में नव जोषन चा जाता हू । स्योहारों के पीदे कई थाने रहती दैं। लगभग सभी स्टोर के ग साय हु न बुन्द था लगी हुई दं। होली फे रयहार के पड मटिद्ध-




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