आल्हखंड - बड़ा | Aalhkhand-bada

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Aalhkhand-bada  by पं नारायणप्रसाद सीताराम जी - Pt. Narayanprasad Sitaram Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका । (७]). मी कि तगमनगवाामनामगनगमागामनाणवाकानकाानवणणवाकाकान ा जवापााभााभाधाा पाए ववपाकाणापा . || शाबद, घोड़ा पपीहा, ठाखापातुर आईि इन सबको साथ लेके मा्डोंकों | लोट गया । दस्सराज बच्छराज दोनां भाइयोंको कोल्ट्रमं पिरवाय शिर, | | काट बगेद वृक्षमं टेंगादिया । दस्सराज वच्छराजकी उत्पात्ति वनमें हुद थी |. इस कारण इनको बनाफर कहते थे, इनकी उत्पात्तिका विस्तार दूसर |! आाल्हखंढमें लिखा जा चुका हैं। पृथ्वीराजका जन्म । । दि्लोक राजा अनगपाल जिस समय थ उसी समय कन्नाजम राजा विजयपाल (अजयपाल), जोधपुरमें नाहरराय, चित्तोरमें समरमिंह, पाट- नम शीमदंव, जेंसलमेरमं भोजदेव, आवमं जंत पवार, अजमेरमें सामंश्वर राजा थे, कबिचंदड भाटन लिखा है कि राजा अनंगपालका कामश्वजके | । साथ युद्ध हुआ, उस युद्धमं अजमेरपाति सोमेश्वरन अनंगपालकी सहायता ॥ ना जा लक लकीकणपर-तससफा्दिदीनिपटिकर िय- पप्रीलकिससपदनपत- वकॉपिकमडयटन्कि---.््ीक, प:माबकन्ट, म दर के रद. कर: न नावधरि «गप्या कररू- की, इससे प्रसस होकर अनंगपालने अपनी छोटी कन्या कमला देवीका विवाह सामश्वरके साथ कर दिया । कमलाका दूसर। नाम उन्द्बती और इस्डकेवार भी था, कमलाके गन्षसे संवत १११०७ विकर्मायमं पृथ्वीरा जका जन्म हुआ, पृथ्वीराजकी जन्मपत्रीके विषयर्म चन्द्र कावने पद्धरी !! छनमें इस प्रकार लिखा ह कि- दरबार बह सामेश राय, लीन्हं हजार ज्यातिषि बुलाय ४ कहो जन्मकम बालक घिनाद, शुभ उगन मुहुरत सुनत मद संवव एकादश पंच अग्ग, वशाख मास पं कृष्ण लग्ग ।, युरु सिदियोग चित्रा नखन । गरनाम कण शिशु परम हित ॥ ऊपा प्रकाश इकघारय रात । पल तीस अंश जय बाल जात ॥ एरु बुद्ध शुक्र पार दरशेदथान । अछ्टमे थान शनि फल विधान ॥ पचदू अथान पार साम भाम । ग्यारवं राह बल करन हम ॥ बारह सूर सो करन रंग । भन मोन माइ तिन कर भंग ॥ ए्राथरान नाम बल हर छत्र । दिछीय लखत मंड सुख्त्र ॥ चाठीस तीन तिन वब स।ज । कलि पुहुंमि इन्ड उद्धार काण ॥! की एतजवलयताजयपयकन-मकायदवमिशकदलनननशा-न्य निभा कर यकननरमरनन्व लय ऋ श्र कक ग्कल्यक नल नमक




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