आल्हखंड - बड़ा | Aalhkhand-bada
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
137.65 MB
कुल पष्ठ :
956
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका । (७]).
मी कि तगमनगवाामनामगनगमागामनाणवाकानकाानवणणवाकाकान ा जवापााभााभाधाा पाए ववपाकाणापा
. || शाबद, घोड़ा पपीहा, ठाखापातुर आईि इन सबको साथ लेके मा्डोंकों
| लोट गया । दस्सराज बच्छराज दोनां भाइयोंको कोल्ट्रमं पिरवाय शिर, |
| काट बगेद वृक्षमं टेंगादिया । दस्सराज वच्छराजकी उत्पात्ति वनमें हुद थी |.
इस कारण इनको बनाफर कहते थे, इनकी उत्पात्तिका विस्तार दूसर
|! आाल्हखंढमें लिखा जा चुका हैं।
पृथ्वीराजका जन्म । ।
दि्लोक राजा अनगपाल जिस समय थ उसी समय कन्नाजम राजा
विजयपाल (अजयपाल), जोधपुरमें नाहरराय, चित्तोरमें समरमिंह, पाट-
नम शीमदंव, जेंसलमेरमं भोजदेव, आवमं जंत पवार, अजमेरमें सामंश्वर
राजा थे, कबिचंदड भाटन लिखा है कि राजा अनंगपालका कामश्वजके |
। साथ युद्ध हुआ, उस युद्धमं अजमेरपाति सोमेश्वरन अनंगपालकी सहायता ॥
ना जा लक लकीकणपर-तससफा्दिदीनिपटिकर िय- पप्रीलकिससपदनपत- वकॉपिकमडयटन्कि---.््ीक, प:माबकन्ट, म दर के रद. कर: न नावधरि «गप्या कररू-
की, इससे प्रसस होकर अनंगपालने अपनी छोटी कन्या कमला देवीका
विवाह सामश्वरके साथ कर दिया । कमलाका दूसर। नाम उन्द्बती और
इस्डकेवार भी था, कमलाके गन्षसे संवत १११०७ विकर्मायमं पृथ्वीरा
जका जन्म हुआ, पृथ्वीराजकी जन्मपत्रीके विषयर्म चन्द्र कावने पद्धरी !!
छनमें इस प्रकार लिखा ह कि-
दरबार बह सामेश राय, लीन्हं हजार ज्यातिषि बुलाय ४
कहो जन्मकम बालक घिनाद, शुभ उगन मुहुरत सुनत मद
संवव एकादश पंच अग्ग, वशाख मास पं कृष्ण लग्ग ।,
युरु सिदियोग चित्रा नखन । गरनाम कण शिशु परम हित ॥
ऊपा प्रकाश इकघारय रात । पल तीस अंश जय बाल जात ॥
एरु बुद्ध शुक्र पार दरशेदथान । अछ्टमे थान शनि फल विधान ॥
पचदू अथान पार साम भाम । ग्यारवं राह बल करन हम ॥
बारह सूर सो करन रंग । भन मोन माइ तिन कर भंग ॥
ए्राथरान नाम बल हर छत्र । दिछीय लखत मंड सुख्त्र ॥
चाठीस तीन तिन वब स।ज । कलि पुहुंमि इन्ड उद्धार काण ॥!
की एतजवलयताजयपयकन-मकायदवमिशकदलनननशा-न्य
निभा कर यकननरमरनन्व लय ऋ श्र कक ग्कल्यक नल नमक
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