चिकित्सा - चन्द्रोदय भाग 7 | Chikitsa - Chandrodaya vol - 7
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
53.25 MB
कुल पष्ठ :
1362
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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मगर जो रोगके रोकनेकी विधियाँ जानता होगा, वद्दी रोगको
रोक सकेगा, अत: प्रत्येक मज्ुप्यकों मायुर्वेद पढ़ना भर यैद्य चनना
जरूरी है । डाकूर गन मद्दोदयने वहुत ही ठीक कहा
(0 ५िठ अदा 0 डपठपत फठ तट 8. पारा,
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या फररमाँबर्दारी करना--स्वास्थ्यरध्तासस्वन्थी नियमों भौर विधानों-
के मधघीन रहना, हरेक भनुष्यका अपना निजी धर्म, कर्चन्य और फ़्जें
होना यादिये ; गर्थात् प्रत्येक मनुप्यका कत्तेंब्य-घर्म है, कि चद
स्वास्थ्यरक्षा-सम्चन्घी चिधानोंके मनुसार चले । अतः प्रत्येक मज्ुप्यको
कत्त॑ ब्य हैं. कि चहद अपनी खत्ता या दस्तीके नियम और कानूनों को
अध्ययन आर मनन करे, उनका पावन्द रहे ; क़दम-क़दम पर
पर उनके मुताबिक़ चले ; उनके ग्विलाफ कोई काम न करे । इस
चविपयसे अनजान रहना या इस पर ध्यान न देना “गुनाइ और पाप”
हैं। मतछवब यद्द हे कि, हर मनुप्यको चाहें चह पुरूप हो या स्त्री
स्वाथ्यरध्षा -सम्बन्धी नियमों का. पावन्द॒ रहना चाहिये। उन
नियमों के विरूद्ध कोई भी काम न करना चाहिये । , पर जो
स्वारुथ्यरध्ताकें नियमों का जानेगा, वहीं उनका पावन्द रहेगा, उनके
गलुसार चलेगा । जा उन्हें ज्ञानता दी नहीं, चद्द उनके अनुसार केसे
चल सकेगा? इसोसे डाक्टर सादहव मज़क़ूर फरमातें हैं, कि
जिस तरह उन नियमोंका मानना प्रत्येक मदुप्यका धर्म था फ़ें है ;
उसो तरह जिस शाख्रमें वे लिखे हैं उसका पढ़ना, समभकना भोर
तद्चुसार चलना सभी प्रत्येक मजुप्यका क्तेव्य हैं । उस शास्त्रको
न पढ़ना या उस तरफ ध्यान न देना पाप है कहिये पाठक, अब
तो आँखें खुली । हमारे ऋषि-सुनि दी आयुर्वेटका अध्ययन करना
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