गुलबदन बेगम का हुमायूँनामा | Gulbadan Begam Ka Humaunama

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Gulbadan Begam Ka Humaunama by गुलबदन बेगम - Gulbadan Begumव्रजरत्नदास - Vrajratandas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ४ ) की मसजिद्दां श्रीर वहाँ के रददनेवाले संबंधियां को भेजे गए थे । गुलबदन बेगम ने अपनी पुस्तक में बेगमों आदि को कया क्या मिला था इसका पूरा विवरण दिया है । बाबर बादशाह ने अपने एक पुराने सेवक के लिए एक बहुत बड़ी माद्दर जिसके बीच में सिर जाने के लिये छेद बना हुआ था ढलवाकर भेजी थी श्र हँसी में उसके नाम के आगे सूची में केवल एक मोद्दर लिखवाई थी । उस सेवक के एक मोहर सुनकर दुः खित होने ओर पाने पर प्रसन्न होने श्रादि का पुस्तक में अच्छा वशेन दिया गया है । बादशाह के श्राज्ञानुसार बाग में कडइ दिनों तक नाच रंग हुआ श्र विजय के लिये परमेश्वर को घन्यवाद दिया गया । गुलबदन बेगम ने अपने उपहार के बारे में कुछ भी नहीं लिखा है जा उसके पिता ने श्रवश्य ही उसके लिए चुनकर भेजा होगा | बाबर की जीवित बेगमों में माहम बेगम मुख्य थीं श्रार उन्हें हुमायूँ के अनंतर चार संतानें हुई पर एक भी जीवित नहीं रही । इस शोक को कम करने क॑ लिए माहम बेगम ने सन १५१२ इं० श्रौीर सन्‌ १५२४ इं० में क्रमश हिंदाल और गुलबदन बेगम को दिल्‍्दार बेगम से लेकर स्वयं उनका लालन पालन किया । सह्दय स्त्री पुरुष दुसरां के बच्चों को लेकर उनका पालन करते हैं परंतु माददम बेगम ने दूसरों की संतान से अपने पति की ही संतान को अपने वात्सल्य




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