गुलबदन बेगम का हुमायूँनामा | Gulbadan Begam Ka Humaunama
श्रेणी : जीवनी / Biography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.04 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
गुलबदन बेगम - Gulbadan Begum
No Information available about गुलबदन बेगम - Gulbadan Begum
व्रजरत्नदास - Vrajratandas
No Information available about व्रजरत्नदास - Vrajratandas
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ४ ) की मसजिद्दां श्रीर वहाँ के रददनेवाले संबंधियां को भेजे गए थे । गुलबदन बेगम ने अपनी पुस्तक में बेगमों आदि को कया क्या मिला था इसका पूरा विवरण दिया है । बाबर बादशाह ने अपने एक पुराने सेवक के लिए एक बहुत बड़ी माद्दर जिसके बीच में सिर जाने के लिये छेद बना हुआ था ढलवाकर भेजी थी श्र हँसी में उसके नाम के आगे सूची में केवल एक मोद्दर लिखवाई थी । उस सेवक के एक मोहर सुनकर दुः खित होने ओर पाने पर प्रसन्न होने श्रादि का पुस्तक में अच्छा वशेन दिया गया है । बादशाह के श्राज्ञानुसार बाग में कडइ दिनों तक नाच रंग हुआ श्र विजय के लिये परमेश्वर को घन्यवाद दिया गया । गुलबदन बेगम ने अपने उपहार के बारे में कुछ भी नहीं लिखा है जा उसके पिता ने श्रवश्य ही उसके लिए चुनकर भेजा होगा | बाबर की जीवित बेगमों में माहम बेगम मुख्य थीं श्रार उन्हें हुमायूँ के अनंतर चार संतानें हुई पर एक भी जीवित नहीं रही । इस शोक को कम करने क॑ लिए माहम बेगम ने सन १५१२ इं० श्रौीर सन् १५२४ इं० में क्रमश हिंदाल और गुलबदन बेगम को दिल््दार बेगम से लेकर स्वयं उनका लालन पालन किया । सह्दय स्त्री पुरुष दुसरां के बच्चों को लेकर उनका पालन करते हैं परंतु माददम बेगम ने दूसरों की संतान से अपने पति की ही संतान को अपने वात्सल्य
User Reviews
No Reviews | Add Yours...