चन्द्रकीर्ति चिकित्सा सार | Chandrkirti Chikitsa Sar
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
0.92 MB
कुल पष्ठ :
36
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[. १५
नपुंसकता ६२ वल्लमारंजन
लग एस वि दो रती प्रातः साय॑ निगल कर ऊपर
कमी, इन्द्री की | ने दूध मिश्री मिला पिलावें नपुन्सकता
शिथिलतां शीघ्र न नष्ट ' होकर शक्ति बढ़ती है पतली धातु
पतन पढ्टों की | पुष्ट होती है |
निव॑ल्ता श्रादि दी दे
लक्षण दोते हैं 1 ६३ चंग भस्म
दे ? रती अतः सायं मलाई या गुलकन्द
से खिलावें ऊपर से धारोष्ण दूध पिलावे
नपन्सकता नष्ट हो शक्ति बढ़े 1, जाड़े के
मौसम में सेवन करना अमृत तुश्य है ।
नासा रोग ६४ नासामत तैल
था मच ४ बंद प्रात! साय॑ नाक में डालने से
पीनस सादि । | विगड़ा जुकाम पीनस नाक की दुगन्धि
कि
ठीक होती हैं ।
नेत्र रोग | ... ६४ नेत्रसुधा
मर राय. चूंद प्रातः साय॑ मेत्रों में डालने से
गांखों गम राई आंख जलन कड़क पुन्धुलापन ला-
ललामी जलन | लामी दर्द ठीक होते' हैं ।
कड़क रोहें -झा- |.
दि हो जाते .हैं ।
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