बाँकीदास - ग्रन्थावली भाग 3 | Bankidas Granthavali Bhag 3
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
100 MB
कुल पष्ठ :
237
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१४ )
_ झकाजी ने बालक की प्रशंसा की कि साश बहुत होनदार
_ मालूम देता है। जा खुबडजी+# [ उनकी कुलदेवी ] की पूथ
कृपा रही ता भविष्य में बड़ा भारी कवि होगा । इस पर
ठाकुर ने पूछा कि क्या यह कविता भी करता है? ते.
' छकजी ने कहा कि हाँ यह क।वता बढ़िया करता है। यह.
_ भाँणूँ, झाशुकवि अभी से है। इस उत्तर को सुनकर ठाठुर
.. ने कविता करने की श्राज्ञा की । इस पर बालक बाँकीदासजी
. से तुरंत दा दोहे श्रौर एक सेशोर गीत रचकर सुना दिए ।._
बालक की अनूठी कविता से ठाकुर प्रसन्न हुए । श्रोर कहा
_ कि यह माँगे वही दूँ। बाँकीदासजी माताज सोने से...
. इनकारी हो गए |. उस पर ठाकुर ने हुक्म दिया कि इस...
बालक कवि को एक अच्छा सा घोड़ा दे दे और कानों में
सोने की मुरकियाँ [ माती की जगह ] पहना दो । परंतु
-बाँकीदासजी ने फिर भी लेने से इनकार किया । इस पर
_ ठाकुर के कामदार ने बाँकीदास जी से कहा कि कया तुम्हारा...
_ विचार हाथी लेने और मेाती-कड़ा पहनने का है जो इतना
.... . कहने पर भी लेने से इनकार करते हो । इस ताने पर...
......... बाँकीदासजी को कुछ क्रोध झा गया श्रौर वे बेल कि यदि...
...... खूबडजी (माताजी) की मेहरबानी जेसी श्राज है वैसी ही झ्रागे भी ;
पा खूबड़जी” चारणों की एक .कुलदेवी का नाम है। इस .
८. देवी का स्थान सरबड़ी में है। इसके, “खैंडेदवल” की माय भी कहते...
हैं [नलाकस सीतारामजी ।
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