बाँकीदास - ग्रन्थावली भाग 3 | Bankidas Granthavali Bhag 3

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Book Image : बाँकीदास - ग्रन्थावली भाग 3  - Bankidas Granthavali Bhag 3

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१४ ) _ झकाजी ने बालक की प्रशंसा की कि साश बहुत होनदार _ मालूम देता है। जा खुबडजी+# [ उनकी कुलदेवी ] की पूथ कृपा रही ता भविष्य में बड़ा भारी कवि होगा । इस पर ठाकुर ने पूछा कि क्या यह कविता भी करता है? ते. ' छकजी ने कहा कि हाँ यह क।वता बढ़िया करता है। यह. _ भाँणूँ, झाशुकवि अभी से है। इस उत्तर को सुनकर ठाठुर .. ने कविता करने की श्राज्ञा की । इस पर बालक बाँकीदासजी . से तुरंत दा दोहे श्रौर एक सेशोर गीत रचकर सुना दिए ।._ बालक की अनूठी कविता से ठाकुर प्रसन्न हुए । श्रोर कहा _ कि यह माँगे वही दूँ। बाँकीदासजी माताज सोने से... . इनकारी हो गए |. उस पर ठाकुर ने हुक्म दिया कि इस... बालक कवि को एक अच्छा सा घोड़ा दे दे और कानों में सोने की मुरकियाँ [ माती की जगह ] पहना दो । परंतु -बाँकीदासजी ने फिर भी लेने से इनकार किया । इस पर _ ठाकुर के कामदार ने बाँकीदास जी से कहा कि कया तुम्हारा... _ विचार हाथी लेने और मेाती-कड़ा पहनने का है जो इतना .... . कहने पर भी लेने से इनकार करते हो । इस ताने पर... ......... बाँकीदासजी को कुछ क्रोध झा गया श्रौर वे बेल कि यदि... ...... खूबडजी (माताजी) की मेहरबानी जेसी श्राज है वैसी ही झ्रागे भी ; पा खूबड़जी” चारणों की एक .कुलदेवी का नाम है। इस . ८. देवी का स्थान सरबड़ी में है। इसके, “खैंडेदवल” की माय भी कहते... हैं [नलाकस सीतारामजी ।




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