उत्तर प्रदेश में जाति स्वास्थ्य व शिक्षा सम्बन्धी असमंजस्य | Uttar Pradesh Mein Jati Swasthya v Shiksha Smbandhi Asmnjsya

Uttar Pradesh Mein Jati Swasthya v Shiksha Smbandhi Asmnjsya by अजीत कुमार सिंह - Ajeet Kumar Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अजीत कुमार सिंह - Ajeet Kumar Singh

Add Infomation AboutAjeet Kumar Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
तालिका संख्या-11: उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू व भारत में महिलाओं के पौष्टिकता का स्तर (1998-99 व 2005-06) न उत्तर प्रदेश तमिलनाड़ शरीर का जन मी शरीर का जन का लग खून की जून सूचकांक 18.5 सूचकांक 18.5 दा सूचकांक 18.5 सूच | किणएग्रा वर्ग मी0 कि0ग्रा वर्ग मी0 कि0ग्रा वर्ग मी0 अन्य 29.4 | 47.6 518 .. स्रोत : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -॥ (1998-99) व ॥ (2005-06) राष्ट्रीय व राज्य प्रतिवेदन । (प्रतिशत में) जातियां | अर न 5 य्ञ ठ्ट व्5 ८्ऊ ए नि पे ८्छ 9 पुउ> ट्जा 1 4 0 | (हा गन ८3|1 के | बल विश्व में दक्षिण एशिया के बच्चों के कुपोषण की दर सबसे खराब है और उत्तर प्रदेश के बच्चों की कुपोषण स्थिति और भी खराब है (ओसमानी, 1997, स्मिथ एण्ड हद्दाद, 2000, मेहरोत्रा, 2004) | तालिका संख्या-12 में बच्चों के कपोषण को मानव कायाकल्प के तीन मानकों जैसे आयु के अनुसार वजन (कम वजन), आयु के अनुसार लम्बाई (छोटा कद) व लम्बाई के अनुसार वजन (दुबला पतला)आदि को दर्शाया गया है। बच्चे जिनका वजन सन्दर्भित जनसंख्या के औसत वजन मानव विचलन 2 से कम होगा तो उनको कम वजन, छोटे कद (जो दीर्घ स्थायी कपोषण की ओर संकेत करता है) और दुबले पतले (उग्र कुपोषण के शिकार) माना जायेगा। उत्तर प्रदेश के आधे से अधिक बच्चे कम वजन व छोटे कद के हैं जबकि तमिलनाड़ के हर तीसरे बच्चे से अधिक बच्चे कम वजन और 29.0 प्रतिशत छोटे कद के हैं। जाति के अनुसार उत्तर प्रदेश में तमिलनाडू की तुलना में कुपोषण की विषमता अधिक पायी जाती है। विशेषकर निचली जातियों में कुपोषण की स्थिति बहुत खराब है| सोचनीय बात यह है कि महिलाओं और बच्चों दोनों की पोषण स्थिति में . पिछले लगभग दस वर्शों में अन्तर नहीं आया है, न ही भारत में और न उत्तर प्रदेश में (तालिका सं0 11, 12 व 13) |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now