संस्कृत वाड्मय में गंगा एक अध्ययन | Sanskrit Vangya Main Ganga Ek Adhyayan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : संस्कृत वाड्मय में गंगा एक अध्ययन  - Sanskrit Vangya Main Ganga Ek Adhyayan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राशि तिवारी - Rashi Tiwari

Add Infomation AboutRashi Tiwari

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
कं टन विष्णुपुराण द्वितीय अंश,अध्याय-२ श्लोक ३२-३७ तक भूगोल वर्णन के सन्दर्भ में पुनः पर्वतों आदि के साथ नदियों का उल्लेख मिलता है। श्री मदुभागवत के पंचम स्कन्ध,अध्याय १६ में भी सृष्टिकृम में नदियों का उल्लेख . मिलता है। इन नदियों की संख्या लगभग ४५ है। चन्द्रवशा ताम्र पर्णी ,अवरो दा,कृत्तमाला एवं. कावेरी-वेणी के साथ ही साथ यहाँ भी मन्दाकिनी,यमुना,सरस्वती एवं हषद्वती आदि की गणना की गई है। पुराणकार इन नदियों को पर्वतों से उत्पन्न मानता है। “ तेषां नितम्बप्रभवा नदा नद्यश्च सन्त्यसख्याता:।।”' _ शिवपुराण उमासंहिता अध्याय ८ के सप्तद्दीप वर्णन-प्रसंग में श्लोक संख्या 9 से ७४ तक हम पुनः पर्वतों ,भूखण्डों एवं महानदियों का वर्णन पाते है। इस सन्दर्भ में नदियों का उदूगम-स्थान भी विस्तार पूर्वक वर्णित किया गया है। परिमात्र से वेदस्मृत्ति एवं पुराण,विन्ध्व से सुरक्षा एवं नर्मदा,झक्ष से गोदावरी,भागीरथी एवं ताप्ती,सहूय से कृष्णा एवं वेणी, मलय से कृतमाला एवं ताम्रपर्णी महेन्द्र से त्रियामा एवं ऋषिकुल्या एवं शक्तिमानू से कुमार आदि का उद्भव बताया गया है। ये सभी जम्बूदीप की नदियां है। इसी प्रकार प्लक्ष, शाल्मली,कुश क्ैंच,शाकदीप तथा पुष्कर दीप में बहने वाली नदियों .की एक विस्तृत तालिका शिवपुराण प्रस्तुत करता है, परन्तु आश्चर्य. है कि इस विस्तृत वर्णन में न तो हिमाचल का उल्लेख है न हि उससे प्रादुभूंत गंगादि नदियों का। 'हाँ भारतदेश की स्थिति के संन्दर्भ में हिमालय का नाम अवश्य है। .., ; “ वक्ष्येअहं भारतं वर्ष हिमाद्रेश्वैव दक्षिण .. :.... उत्तरे तु समुद्रस्य भारती यत्र सन्ततिः। नवयोजनसाहसो विस्तारो दस्य महामुने: । स्वर्गापवर्गयो: कर्मभूमिरेषा स्मृता बुचैः।1”




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now