मोहन राकेश के साहित्य में समसामयिक चेतना | Mohan Rakesh K Sahitya Mein Samsamyik Chetna

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जय वर्मा का यह मत लेखकीय टरष्टिटकौ्ण को ही पुष्ट कश्ता हुआ नए बादल कहानी संग्रह कै माध्यम सै सहज अनुभूति के साथ कह स्थित्िशील और गतिशील व्यक्तिगत ओर सामाजिक स्त मके सामाजिक और भौतिक परिपर्व : लेखक जीवन सत्य कौ आषिक रूप मैं रु खौदता है | आज का जीवन तो इतना विशाल छह एवं जलिल है, जिसे मौहन राकेश ने समता कै प्रयात नकै द्वारा प्रस्तुत कहानियाँ मैं जीवन के जटिल से जटिलतर पर्त ड़ गए हैं। व्यक्तिगत जीवनाजुभव, वर्ण्य-विषय को गहराई मैं पहचानने मैं क त्तत कधा-संकलन मैं बहुधमी दुष्टिटयाँ ल्याँ कौ राफैश ने प्रस्तुत कहानियाँ 'एः कह सकी हि || थम जीवन का यधावत-सप नियाँ मैं अपनायी गई 1 ” नर-




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